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चंदौली हसनपुर स्थित श्रीकृष्णा इंटर कॉलेज राधा कृष्ण मंदिर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन वृंदावन से पधारे रविकृष्ण शरण जी महाराज के द्वारा सृष्टि के विस्तार की कथा सुनाई । कहा कि भगवान नारायण के नाभि कमल से ब्रह्मा प्रकट हुए । ब्रह्मा जी ने सृष्टि का विस्तार किया । कश्यप के पुत्र हिरण्याक्ष हिरण्यकश्यप कैसे राक्षस बन गए । इस कथा को सुनाये ।

गोधूलि बेला में चार काम नहीं करना चाहिए । आहार मैथुन निद्रा और स्वाध्याय गोधूलि बेला में भोजन करने से शरीर में व्याधि उत्पन्न होती है । मैथुन करने से दुष्ट पुत्र पैदा होता है । गोधूलि बेला में सोने से लक्ष्मी की हानि होती है और अध्ययन करने से विद्या जल्दी ही विस्मृति हो जाती है । आगे वराह भगवान का जन्म कैसे हुआ ।

 

वराह भगवान ने कैसे पृथ्वी को जल पर स्थापित किया । हिरण्याक्ष का वराह भगवान के द्वारा वध की कथा सुनाये । कर्दम देवहूति के प्रसंग को सुनाये । कपिल भगवान द्वारा माता देवहुति को सांख्य योग का उपदेश करना, उपदेश के बाद माता को वैराग्य, पांच भौतिक शरीर को त्यागना,कपिल देव भगवान का गंगा सागर में जाकर समाहित होना, आगे चलकर के कथा में ध्रुव जी के पावन चरित्र को सुनाया ।

 

कैसे 5 वर्ष की अवस्था में ध्रुव जी महाराज ने भगवान को प्राप्त किया ।  भगवान शंकर का दक्ष प्रजापति के द्वारा अपमान, माता सती का देह त्यागना ,भगवान शंकर के जटा से वीरभद्र का उत्पन्न होना, दक्ष के यज्ञ का विध्वंस करना ,पुनः देवताओं के द्वारा भगवान शंकर की स्तुति, भगवान शंकर के द्वारा जा करके दक्ष प्रजापति की यज्ञ को सफल बनाना,

 

दक्ष प्रजापति के बकरे का सर लगने की कथा कथा को सुनाया । कथा के मध्य भारी तादात में सभी क्षेत्रवासी ग्रामवासी भागवत महापुराण की कथा सुन कर भाव विभोर हुए वृंदावन से आए झांकी कलाकारों के द्वारा भगवान शंकर का तांडव नृत्य भी कथा के मध्य में दिखाया गया ।

 

रिपोर्ट अलीम हाशमी

 

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