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वाराणसी स्थित बी एच यू के विश्वनाथ मंदिर में नौ दिवसीय संगीतमय राम कथा की अमित वर्षा का नॉर्वे दिन  संत परम पूज्य मां कालरात्रि पीठाधीश्वर संत अखिल दास महाराज जी कथा व्यास ने कहा सत्य प्रदर्शन की चीज नहीं है । इसे स्वीकार करना चाहिए।
पुरुषार्थ के लिए विवेक का होना आवश्यक है । पुरुषार्थ का वर्णन करते हुए बताया कि इसके कई भेद होते हैं ।

जैसे दिव्य पुरुषार्थ और परम पुरुषार्थ। ईश्वर प्राप्ति के लिए किया जाने वाला पुरुषार्थ दिव्या पुरुषार्थ कहलाता है। दिव्य पुरुषार्थ के व्यक्ति सदैव लोक कल्याण के बारे में सोचते हैं । अहंकार विनाश का कारण (रावण) है। क्रोध करने से एक महीने का जप तप नष्ट हो जाता है क्रोध नहीं करना चाहिए साधकों  को सुगंधित इत्र स्प्रे नहीं लगना चाहिए। इससे विचलित होता है मन ।

नन्दी धर्म स्वरूप है । कोई जीव कष्ट में हो तब कथा सुना या सुनना चाहिए जब परमात्मा प्रसन्न होता है तब कथा सुनते हैं विश्वास और श्रद्धा गुरु दिलाते हैं। कथा का आरंभ वैदिक मंत्रों उच्चारण से हुआ इस अवसर पर परम पूज्य कृष्ण कुमार त्रिपाठीजी, संस्कृत और धर्म विज्ञान के ज्योतिषाचार्य श्री विश्वनाथ बी एच यू मंदिर के प्रबंधक डॉक्टर विनय कुमार पांडे, प्रोफेसर एच.पी सिंह, डॉक्टर आलेख साहू जी, ए.के राय, योगेंद्र सिंह, विवेक सिंह, मनीष सिंह, आशुतोष जयसवाल, ताराचंद शर्मा, 

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