Shaurya News India
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 वाराणसी। मठ-मंदिरों को कब्जे और अतिक्रमण से मुक्त करवाने का सरकारी ऐलान एक तरफ है और मठ-मंदिरों पर कब्जा कर उसे व्यावसायिक हित के लिए इस्तेमाल करने का अभियान दूसरी तरफ। पुराने ऐतिहासिक मंदिर पर अवैध कब्जा और अतिक्रमण की कहानी कह रहा है गौतमेश्वर महादेव का मंदिर। गोदौलिया चौराहे से चंद कदम दूर चौक जाने वाली सड़क पर बिघो में फैले काली मंदिर परिसर स्थित गौतमेश्वर महादेव के मंदिर पर जबरन कब्जा कर इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। आधा दर्जन से ज्यादा दुकानें मंदिर परिसर में खोल दी गई है साथ ही साथ मंदिर की जमीन पर अवैध तरीके से रेस्टोरेंट भी चलाया जा रहा है। मंदिर परिसर में ही अवैध तरीके से गाड़ियों की पार्किंग भी की जा रही है। हालात ये है कि दर्शन के लिए आने वाले दर्शनार्थियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
मंदिर परिसर के प्रवेश द्वार पर टंगे दुकानों के साइन बोर्ड के भीड़ में भी मंदिर का नाम ही गुम होकर रह गया है। मुनाफा कमाने के चक्कर में भगवान यहां कैद होकर रह गए हैं। सालों से ये सिलसिला जारी है। 
 कलात्मक सौन्दर्य का प्रतीक। 
गौतमेश्वर महादेव का मंदिर कलात्मक सौन्दर्य का प्रतीक है। मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर मंदिर तक में पत्थरों पर की गई बेहतरीन जालीदार नक्काशी बरबस अपना ध्यान आकर्षित करती है। धार्मिक पर्यटन के नजरिए से भी मंदिर की अहम भूमिका हो सकती है लेकिन अवैध कब्जे और अतिक्रमण के चलते मंदिर का अस्तित्व ही दांव पर लगा हुआ है।
 विशाल परिसर पर है भू-माफियाओं की नजर। 
काली मंदिर परिसर स्थित गौतमेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना काशी  नरेश ने की थी। बीच शहर में तकरीबन दो बीघे में फैले इस मंदिर की जमीन पर भू-माफियाओं की नजर है। इसका प्रयोग वो मुनाफा कमाने के लिए कर सकते है। पूरे मंदिर परिसर में अवैध कब्जा और अतिक्रमण अपने आप में इस बात की तस्दीक करते हैं।
 प्रशासनिक पहल की जरूरत 
गौतमेश्वर मंदिर को अवैध कब्जे और अतिक्रमण से मुक्त करवाने और धार्मिक पर्यटन के नजरिए से इसका विकास करने के लिए फौरी प्रशासनिक पहल की जरूरत है। मंदिर को संरक्षित करने की जरूरत है।

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