Shaurya News India
इस खबर को शेयर करें:

परिसर का एएसआई से वैज्ञानिक सर्वे जरूरी वाराणसी। फ़ास्ट   कोर्ट में आज ज्ञानवापी मामले की सुनवाई हुई जिसमें वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बहस की। उन्होंने दावा किया

कि वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद के केंद्रीय गुबंद के केंद्र बिंदु के ठीक नीचे भगवान विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। उसमें गंगाजी के स्रोत से सीधे जल आता है। इन सारे तथ्यों की प्रमाणिकता के लिए संपूर्ण परिसर का एएसआई से वैज्ञानिक सर्वे जरूरी है। कोर्ट ने बहस के लिए अगली तारीख 12 मार्च निर्धारित की। 


बहस के दौरान वाद मित्र ने कहा कि आराजी नं. 9130 का एएसआई सर्वे किया गया है। जबकि आदि विश्वेश्वर के आराजी नं. 9131 व 9132 में क्या स्थिति है, इसकी जानकारी के लिए भी सर्वे जरूरी है।

इस आराजी में भगवान आदि विश्वेश्वर का बड़ा मंदिर, बड़ी चहारदीवारी और बहुत पुराना मंदिर है। आराजी नंबर 9130 के एएसआई सर्वे रिपोर्ट में भी इसका दावा किया गया है। 

 


ज्ञानवापी मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के केंद्र बिंदु के नीचे भगवान आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। वहां गंगाजी के स्रोत से जल आता है। मुगल शासक ने ईंट पत्थर की दीवार बनाकर ऊपर से पत्थर से इसे बंद करवा दिया है। इस स्थान का भी सर्वे नहीं हुआ है।

मुख्य गुंबद से हटकर उसे कोई नुकसान पहुंचाये बिना चार गुणे चार फुट का सुरंग बनाकर नीचे के तहखाने का रडार तकनीक से सर्वे किया जाय। 


वाद मित्र ने यह भी कहा कि जिस हिस्से का सर्वे हुआ है, उसे लेकर 08 अप्रैल 2021 को इसी एफटीसी कोर्ट ने एक आदेश दिया था। जिसमें कहा था कि सर्वे के लिए एएसआई की पांच सदस्यीय कमेटी बनाई जाए।इसमें दो सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय के होंगे। एक आब्जर्वर नियुक्त होंगे, जो कि विश्वविद्यालय के विद्वान हों। सारी टीम मिल कर वैज्ञानिक तरीके से सर्वे करे।

 

हालांकि जो सर्वे हुआ, उसमें केवल एएसआई टीम शामिल रही। साथ ही टंकी में मिले शिवलिंग की आकृति का भी सर्वे नहीं हुआ। उधर, मूलवाद के वादी रहे हरिहर पांडेय के निधन के बाद उनकी पुत्रियों नीलिमा मिश्र, रेनू पांडेय को पक्षकार बनाने की अर्जी पर भी सुनवाई के लिए अगली तारीख 12 मार्च नियत की गई है। 


छत पर जाने से रोकने की अर्जी पर सुनवाई 18 को
वाराणसी। सिविल जज सीनियर डिविजन अश्वनी कुमार की कोर्ट में गुरुवार को व्यासजी के तहखाने की छत पर मुस्लिमों को इकट्ठा होने से रोकने की अर्जी पर सुनवाई हुई। इस मामले में अब 18 मार्च को सुनवाई होगी। नंदीजी महाराज विराजमान व लखनऊ के जन उद्घोष सेवा संस्था के सदस्यों की ओर से इस संबंध में अर्जी पड़ी है। 
 

इस खबर को शेयर करें: