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आज हनुमान जयंती है। हनुमानजी ब्रह्मचारी के रूप में पूजे जाते हैं इसलिए ग्रंथों में बताए विधान के अनुसार इनकी पूजा सुबह 4 से रात 9 बजे तक कर सकते हैं। अगस्त्य संहिता और वायु पुराण में लिखा है कि हनुमानजी की उम्र एक कल्प यानी 4.32 अरब साल है। इसी कारण उन्हें अमर माना जाता है।

हनुमान जी ने क्यों लिया था पंचमुखी स्वरूप?

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य और श्रीराम कथावाचक पं. मनीष शर्मा के अनुसार पंचमुखी स्वरूप की कथा भगवान राम और रावण के बीच हुए युद्ध से जुड़ी है।
जब ये युद्ध अपने चरम पर था, तब रावण को लगा कि श्रीराम को रोक पाना असंभव है। तब उसने अपने मायावी भाई अहिरावण को बुलाया। अहिरावण माता भगवती का उपासक और पाताल लोक का अधिपति भी था।
अपनी मायावी शक्तियों से अहिरावण ने श्रीराम, लक्ष्मण और पूरी वानर सेना को बेहोश कर दिया। इसके बाद उसने श्रीराम-लक्ष्मण को बंदी बना लिया और पाताल लोक ले गया। युद्ध भूमि से जब माया का प्रभाव खत्म हुआ, तब हनुमान जी और विभीषण को सच्चाई का आभास हुआ।
विभीषण ने हनुमान जी को बताया कि ये सब अहिरावण ने किया है। अहिरावण ने माता भगवती को प्रसन्न करने के लिए पाताल में पांच दिशाओं में दीपक जलाए हुए हैं। जब तक ये पांचों दीपक जलते रहेंगे, तब तक अहिरावण को कोई नहीं मार सकता। अहिरावण का अंत करने के लिए इन पांचों दीपों को एक साथ एक ही समय पर बुझाना होगा।
हनुमान जी पाताल लोक पहुंचते हैं। वहां उन्हें पांच जलते हुए दीपक दिखाई दिए। इन पांचों को दीपों को एक साथ बुझाने के लिए हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया।

पंचमुखी स्वरूप यानी हनुमान जी के पांच मुख

•पूर्व दिशा में - हनुमान मुख
•दक्षिण दिशा में - नरसिंह मुख
•  उत्तर दिशा में - वराह मुख
•  पश्चिम दिशा में - गरुड़ मुख
•  ऊर्ध्व (ऊपर) दिशा में - हयग्रीव मुख

इस दिव्य पंचमुखी रूप से हनुमान जी ने एक साथ पांचों दीपकों को बुझा दिया। जैसे ही दीपक बुझे, अहिरावण की सारी शक्तियां समाप्त हो गईं और हनुमान जी ने उसका वध कर दिया।
इसके बाद हनुमान जी ने श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया और उन्हें सकुशल लंका ले आए। इसके बाद राम जी ने रावण का अंत किया।

पंचमुखी हनुमान की पूजा करने के लाभ

पंचमुखी हनुमान की पूजा से आत्मबल, साहस और संकट से उबरने की शक्ति मिलती है। इनकी आराधना से व्यक्ति को आत्मविश्वास, निर्भीकता और मानसिक शक्ति की प्राप्ति होती है। हनुमान जयंती पर पंचमुखी हनुमान की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है।

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