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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकीलों की हड़ताल पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि किसी वकील या उनके संघ के हड़ताल पर जाने, हड़ताल का आह्वान करने या कार्य से विरत रहने के किसी भी कृत्य को आपराधिक अवमानना का कृत्य माना जाएगा।


न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी की खंडपीठ ने प्रदेश के सभी जिला जजों को निर्देश दिया कि वकीलों की हड़ताल की किसी भी घटना की सूचना रजिस्ट्रार जनरल को दें,

ताकि कानून के अनुसार उचित कार्यवाही की जा सके। कोर्ट ने कहा कि जब तक न्यायालयों के सुचारू एवं प्रभावी संचालन से न्याय प्रशासन सुनिश्चित नहीं हो जाता, तब तक कानून का शासन सुनिश्चित नहीं किया जा सकता।

शोक सभा दोपहर साढ़े तीन बजे के बाद बुलाई जाए

कोर्ट ने कहा कि एसोसिएशन के वकील/अधिकारी/अदालत के कर्मचारी या उनके रिश्तेदारों की मृत्यु के कारण शोक संवेदना के कारण भी कार्य से विरत नहीं रहने दिया जाएगा।

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी शोक सभा अपराह्न साढ़े तीन बजे के बाद ही बुलाई जाए। इस निर्देश का किसी भी तरह का उल्लंघन न्यायालय की अवमानना माना जाएगा।

 

रिपोर्ट जगदीश शुक्ला

 

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