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वाराणसी के प्रतिष्ठित बनारस क्लब की जमीन का चर्चित मामला अब जिला कोर्ट से निकलकर हाईकोर्ट पहुंच गया है। बनारस क्लब की जमीन को बार और बेंच की लाइब्रेरी की जमीन होने का दावा करने वाले वकीलों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की है।
केस में पहली सुनवाई में कोर्ट ने केस को खारिज करने की मांग ठुकरा दी और कार्रवाई को आगे बढ़ाने की बात कही। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद बनारस क्लब से लिखित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
जज ने बनारस क्लब के अलावा प्रतिवादी बनाए गए सभी पक्षों को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। वहीं इस केस के वादी को अपना प्रत्युत्तर एक सप्ताह के अंदर दाखिल करेंगे, इसके बाद फिर मामले की सुनवाई की जाएगी।
बनारस बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री नित्यानंद राय ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में याचिका दायर की, जिस पर गुरुवार को न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की कोर्ट में सुनवाई हुई। नित्यानंद राय ने अपनी याचिका पर खुद बहस की।
अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि बनारस क्लब कचहरी की दीवार से लगा है, मंडलायुक्त इस क्लब के अध्यक्ष और डीएम उपाध्यक्ष हैं। तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट एसएन शुक्ल ने 27 जनवरी 2011 को आराजी नंबर 211 मौजा पहाड़पुर और आराजी नंबर 850 मौजा सिकरौल से बनारस क्लब के कब्जे को अवैध मानते हुए बेदखली का आदेश पारित किया था।
इसके खिलाफ क्लब ने जिला जज की अदालत में अपील दाखिल की है, अपील पिछले 14 साल से लंबित है। पत्रावली का मुआयना करने पर सामने आया कि 30 से ज्यादा स्थगन प्रार्थना पत्र दिया गया है, इस कारण मामला लटका है।
अधिवक्ता ने कहा कि अपील में पार्टी बनने की अर्जी उन्होंने 10 अक्तूबर 2023 को दाखिल की थी। उनकी अर्जी पर सेंट्रल बार एसोसिएशन ने भी लिखित सहमति और सहयोग दिया था। पार्टी बनने की अर्जी 17 मई 2024 को खारिज कर दी गई थी।