Shaurya News India
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मीरर्जापुर। जिले के खण्ड लालगंज में गुरुवार, 20 जून को सायं 5 बजे से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खण्ड लालगंज के खण्ड कार्यवाह सुरेंद्र कुमार की अध्यक्षता मे हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव कार्यक्रम का आयोजन भारतीय पब्लिक स्कूल बामी लहंगपुर के परिसर मे किया गया। इस अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन करते हुए उनके आदर्शो एवं व्यक्तित्व कृतित्व पर चर्चा किया। आरएसएस के सह विभाग बौद्धिक प्रमुख विन्ध्याचल विभाग संतोष जी का पाथेय प्राप्त हुआ। 

 

 

 कार्यक्रम का शुभारंभ शिवाजी के चित्र के समक्ष पुष्पार्चन करके किया गया। तत्पश्चात अमृत वचन, एकल गीत एवं गणगीत हुआ। 

 

 उद्बोधन मे सह विभाग बौद्धिक प्रमुख संतोष जी ने कहाकि हिंदू ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का दिवस है, जिसे हिन्दू साम्राज्य दिवस के रूप मे मनाया जाता है। संघ ने इस उत्सव को अपना उत्सव क्यों बनाया इसका आज के वातावरण में जिन्हें ज्ञान नहीं है,

 

 

जानकारी नहीं है, उन के मन में कई प्रश्न आ सकते हैं। हमारे देश में राजाओं की कमी नहीं है, देश के लिये जिन्होंने लडकर विजय प्राप्त की, ऐसे राजाओं की भी कमी नहीं है। फिर भी, क्योंकि संघ नागपुर में स्थापना हुआ और संघ के प्रारंभ के सब कार्यकर्ता महाराष्ट्र के थे,

इसी लिये संघ ने छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का दिन हिंदू साम्राज्य दिनोत्सव बनाया, ऐसा नहीं है। छत्रपति शिवाजी महाराज के समय की परिस्थिति अगर हम देखेंगे, तो ध्यान में ये बात आती है कि अपनी आज की परिस्थिति और उस समय की परिस्थिति इसमें बहुत अंशों में समानता है। उस समय जैसे चारों ओर संकट थे।

 

 

समाज अत्याचारों से ग्रस्त था, पीड़ित था, वैसे ही आज भी तरह तरह के संकट हैं, और केवल विदेश के और उनकी सामरिक शक्तियों के संकट नहीं है, सब प्रकार के संकट है। उस समय भी ये संकट तो थे ही, शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के पश्चात कुछ ही वर्षों में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न की कि सारे विदेशी आक्रामकों को राजस्थान छोडना पडा। उसे के बाद किसी मुगल, तुर्क का पैर राजस्थान में राजा के नाते नहीं पडा। नोकर के नाते भलेही पडा हो। छत्रसाल ने तो प्रत्यक्ष शिवाजी महाराज से प्रेरणा पायी।

 

 

उसके पिताजी चंपतराय के काल तक सषर्घ चल रहा था। शिवजी महाराज की कार्यशैली को प्रत्यक्ष देखकर छत्रसाल यहाँ से गये और उन्होंने अंततः विजय पा कर स्वधर्म का एक साम्राज्य वहाँ पर उत्पन्न किया। असम के राजा चक्रध्वज सिंह कहते थे ‘जैसा वहां पर शिवाजी कर रहा है वैसी नीति चलाकर इस असम पर किसी आक्रामक का पैर पडनें नहीं दूंगा।’ ब्रह्मपुत्र से सब को वापिस जाना पडा। असम कभी भी मुगलों का गुलाम नहीं बना। इस्लाम का गुलाम नहीं बना।

 

 इस अवसर पर प्रमुख रूप से लालगंज खण्ड कार्यवाह सुरेंद्र कुमार जी, दिनदयाल जी, इंद्र मोहन जी, भारतीय पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य बीपी दुबे जी, हरिश्चंद्र जी, राहुल जी, रजनीकांत जी, सुरेंद्र प्रताप सिंह जी, सुरेश यादव जी, बैजू जी, दिनेश जी, मुख्य शिक्षक वीर जी, शिवम जी, आर्य जी, अर्पण जी, मुख्य शिक्षक पंकज जी, शाखा कार्यवाह रामरूप जी, मंडल कार्यवाह पुष्पेंद्र जी, मोहित जी आदि बहुत से सारे स्वयंसेवक व क्षेत्र के सम्मानित प्रतिष्ठित लोग उपस्थित रहे।

 

 

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