वाराणसीः आज सोमवार से फाल्गुन मास का शु्क्ल पक्ष शुरू हो गया है। इस महीने के अंत में यानी फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन होता है। होलिका दहन 24 मार्च को होगा और अगले दिन यानी 25 को होली खेली जाएगी। इससे पहले 17 मार्च से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, होलाष्टक (होली से पहले के आठ दिन) के दिनों में पूजा-पाठ, मंत्र जप और ध्यान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि होलिका दहन से पहले आठ दिनों तक हिरण्यकश्यपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए कई यातनाएं दी थीं। प्रहलाद विष्णु जी का भक्त था, इस वजह से हिरण्यकश्यपु अपने ही पुत्र को मारना चाहता था। विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद के प्राण हर बार बच जाते थे। जब हिरण्यकश्यपु की सारी कोशिशें असफल हो गईं, तब उसकी बहन होलिका ने प्रहलाद को लेकर आग में बैठने की योजना बनाई।
होलिका को वरदान मिला हुआ था कि वह आग में नहीं जलेगी, लेकिन विष्णु जी की कृपा से आग में प्रहलाद तो नहीं जला, लेकिन होलिका जल गई थी। प्रहलाद ने इन आठ दिनों में भयंकर यातनाएं झेली थीं, इन आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है और इन दिनों में भक्ति करने का विशेष महत्व है।
होलाष्टक से जुड़ी ज्योतिष की मान्यता
होलाष्टक के आठ दिनों में ग्रहों की स्थिति उग्र होती है। ग्रहों की स्थिति ठीक न होने से अधिकतर लोगों को इन दिनों में मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। काम में मन नहीं लगता है। विचार नकारात्मक बने रहते हैं। ये समय सकारात्मक रहने का होता है। अच्छी किताबें पढ़ें। संत्संग करें। साधु-संतों के प्रवचन सुनें। मंत्र जप के साथ ही ध्यान भी करेंगे तो नकारात्मकता दूर हो सकती है।
फाल्गुन पूर्णिमा पर कर सकते हैं ये शुभ काम
• पूर्णिमा पर बाल गोपाल का अभिषेक करें। तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
• भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें। भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें-सुनें।
• जरूरतमंद लोगों को खाना, कपड़े, जूते-चप्पल, धन का दान करें।
• किसी मंदिर में पूजन सामग्री का दान करें।
• हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का सुंदरकांड का पाठ करें।
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