विश्व को ईश्वरप्राप्ति का मार्ग दिखाने के लिए भारत को जीवित रहना ही होगा। समृद्ध, शक्तिसंपन्न, स्वतंत्र, पवित्र बनकर जीवित रहना ही होगा। अतएव भारतीय राष्ट्रोन्नति का प्रयत्न अखिल विश्व पर, सारी मानवजाति पर उपकार करने वाला ही है। अपनी राष्ट्रभक्ति से वास्तविक मानवतावाद आगे चलकर सिद्ध होनेवाला है। इसलिए स्वराष्ट्रसेवा में कुछ संकुचित भाव है, यह भ्रम छोड़ देना हितावह होगा"
- परम पूज्य श्री गुरूजी