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कमिश्नरेट में तीन डीसीपी और तीन एडीसीपी हैं। फिर, कमिश्नरेट मुख्यालय पर इतनी ज्यादा संख्या में फरियादी रोजाना क्यों आते हैं? तीनों जोन के डीसीपी और एडीसीपी के कार्यालय का औचक निरीक्षण कर अब यह देखा जाएगा कि वहां जनसुनवाई होती कैसे है? यह बातें संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) डॉ. के एजिलरसन ने ट्रैफिक पुलिस लाइन के सभागार में शनिवार की दोपहर क्राइम मीटिंग में कहीं।

 


संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) ने कहा कि यदि जिला मुख्यालय से दूरी के कारण फरियादी तीनों डीसीपी के कार्यालय तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो इस संबंध में वह पुलिस आयुक्त से बात करेंगे। पुलिस आयुक्त की अनुमति से रोजाना सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक पुलिस मुख्यालय में ही तीनों डीसीपी की जनसुनवाई की व्यवस्था कराई जाएगी। 

 


संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) ने कहा कि उनके या पुलिस आयुक्त कार्यालय के स्तर से जिन भी प्रकरण पर कार्रवाई का निर्देश थानाध्यक्षों को दिया जाता है, उन पर क्या कार्रवाई हुई, उसकी एक्शन टेकन रिपोर्ट डीसीपी जरूर भेजें।
 

थानाध्यक्ष अपनी कार्यशैली में सुधार लाएं। अब उन्हें चेतावनी या सुधार का अवसर नहीं दिया जाएगा, सीधे विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान कमिश्नरेट के तीनों जोन के डीसीपी व एडीसीपी और सभी एसीपी व थानेदार मौजूद रहे।

 

5 थानाध्यक्षों को फटकारा, बोले- कैसे सुधार आएगा

 

संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) ने क्राइम मीटिंग में जंसा, चौबेपुर, चितईपुर, शिवपुर व फूलपुर थाने के थानाध्यक्ष के साथ ही कैंट व भेलूपुर सर्किल के एसीपी को फटकार लगाई। पूछा कि आपकी कार्यशैली में सुधार कैसे आएगा? क्या कार्रवाई किए बगैर आप लोग नहीं सुधरेंगे? कहा कि चोरी, लूट, हत्या, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मामलों को गंभीरता से लेकर कार्रवाई करें। महिला शिकायत लेकर आए तो हर हाल में मुकदमा दर्ज हो। कोई फरियादी यदि थानाध्यक्ष या चौकी इंचार्ज की शिकायत लेकर आएगा तो वह हर हाल में कार्रवाई की जद में आएगा।

 

219 प्रशिक्षु दरोगा से मुखातिब हुए जेसीपी

 

संयुक्त पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) 219 प्रशिक्षु दरोगा से भी मुखातिब हुए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षु दरोगा की रोजाना रोस्टर के हिसाब से ड्यूटी लगाई जाए। पांच-पांच दरोगा रोजाना एक-एक एसीपी, एडीसीपी और डीसीपी के यहां पेश हों और उनके प्रशिक्षण की जानकारी ली जाए। प्रशिक्षु दरोगा का बैच बनाकर एडीसीपी और डीसीपी रोजाना उनकी क्लास लें। प्रति प्रशिक्षु दरोगा को अधिकतम पांच मुकदमे की विवेचना दी जाए। विवेचना ऐसे मुकदमों की दी जाए जो सामान्य किस्म के ही हों।

 

 

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