"काशी वासी साख्य भाव, मित्र भाव से महादेव से सम्बन्ध रखता है। वह बिचौलिया स्वीकार नहीं करता। काशी का सामान्य नागरिक भी बड़े विद्वान व व्यास पर टीका टिप्पणी करने का अधिकार रखता है। काशी में पढ़ने के अलावा काशी को भी पढ़ना चाहिए। काशी में शिवत्व औपचारिकताओं से मुक्त है। काशी में बोले जाने वाले हर शब्द की अलग व्याख्या है। यहाँ गमछा खो जाने पर भी बनारसी कहता है _ "गमछा गया तो गम छा गया।" ; "काशी मे तब तक दाल न गली जब तक घूमबा न गली गली।" उक्त बातें पंद्रह दिवसीय कार्यशाला काशी : संस्कृति, परंपरा एवं परिवर्तन' के दसवें दिवस 'काशी का लोक जीवन' विषय पर व्याख्यान देते हुए पद्म श्री डॉ राजेश्वर आचार्य ने कही। आचार्य जी ने प्रतिभागियों के बीच काशी के लोक जीवन में प्रयोग होने वाले चकाचक, चौचक, कचाकच, निपटान, साढ़े, गुरु, राजा, मालिक जैसे शब्दों की का शैली में व्याख्या की। काशी के स्वरूप की सुप्त काशी, गुप्त काशी, मुक्त काशी, भुक्त काशी का विस्तार करते हुए बताया कि सबका अपना स्वाभिमान है।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में प्रतिभागियों के बीच काशी के लोकजीवन पर अपने विचारों करते हुए डॉ अमिताभ भट्टाचार्य जी मे कहा कि बनारस धार्मिक नगरी ही नहीं अपितु आध्यात्मिक नगरी है। यह बहुवचनीय सभ्यता है। जो अनायास नहीं है। यह हजारों वर्षों में विकसित हुआ। इस शहर में 28 धार्मिक धाराएं /संप्रदाय शांतिपूर्ण ढंग से सहअस्तित्व के साथ रह रही हैं। काशी में गंगा भी आत्मावलोकन् करती हैं।अटूट जीवन रेखा संपन्न प्राचीनतम जीवित नगरी है। बनारस अपने आप में जीवन शैली है। यह आर्ट ऑफ लिविंग नहीं बल्कि पार्ट ऑफ लिविंग है। काशी मुक्त विश्वविद्यालय है। बनारस के वर्तमान पर कहा कि बनारस में इन दिनों तमाशबीनों की दुकान है। वर्तमान बाजारीकरण से भी यह शहर बच जाएगा। काशी स्वयं में एक शास्वत बोध है। काशीवासी बनने के लिए काशी के जीवन दर्शन में रोज स्नान करना होगा। काशी विखंडन से बचाता है। यहाँ की जीवनशैली अपने आप में रूपकधर्मी है। काशी तीर्थ है जीवन नदी के पार लगाने में सक्षम है।
कार्यशाला का संचालन डॉ अवधेश दीक्षित व धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुजीत चौबे ने किया।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों में प्रो सिद्धनाथ उपाध्याय, प्रो सदाशिव द्विवेदी, डॉ अमित पांडेय, आचार्य अभिनव शंकर, डॉ मलय झा, संजय शुक्ला, अभिषेक मिश्र, अभिषेक यादव, डॉ सुजीत चौबे, दीपक सिंह, बलराम यादव अरविंद कुमार मिश्र आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।

