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अभी शिव जी का प्रिय महीना सावन चल रहा है। इस महीने में शिव पूजा के साथ ही शिव जी के सूत्रों को जीवन में उतार लेंगे तो सभी परेशानियां खत्म हो सकती हैं। शिव जी से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जिनमें जीवन प्रबंधन के सूत्र बताए गए हैं, इन सूत्रों को अपनाने से मुश्किल लक्ष्य भी पूरे किए जा सकते हैं। यहां जानिए शिव जी से जुड़े 5 प्रेरक किस्से...

मन शांत रखने के लिए ध्यान करें

शिवपुराण के मुताबिक इस सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी ने शिव जी की इच्छा से ही की है। सृष्टि बचाने के लिए शिव जी ने हलाहल विष का पान किया था, समय-समय पर कई असुरों का वध किया। शिव जी, ब्रह्मा-विष्णु के साथ सृष्टि का संचालन करते हैं, फिर भी वे हमेशा ध्यान की मुद्रा में ही दिखाई देते हैं। ध्यान से मन शांत रहता है और एकाग्रता बनी रहती है।

सीख - शिव जी का ध्यान करता हुआ स्वरूप संदेश देता है कि हमें भी अपने मन शांत रखने के लिए और तनाव दूर करने के लिए ध्यान करना चाहिए।

संतान को समाज सेवा के लिए प्रेरित करें

शिव जी के पुत्र कार्तिकेय स्वामी का पालन उनसे दूर एक वन में कृतिकाओं ने किया था। जब ये बात शिव-पार्वती को मालूम हुई तो उन्होंने कार्तिकेय को कैलाश पर बुलवाया था। उस समय तारकासुर ने आतंक मचा रखा था और उसे वरदान मिला था कि उसका वध शिव जी का पुत्र ही कर पाएगा।
कार्तिकेय जैसे ही कैलाश पहुंचे, सभी देवता भी शिव जी के पास पहुंच गए। देवताओं ने शिव जी ने प्रार्थना की कि वे कार्तिकेय स्वामी को देवताओं के साथ भेज दें, ताकि तारकासुर का वध हो सके। शिव जी ने देवताओं की प्रार्थना मान ली और कार्तिकेय को सभी के हित के लिए भेज दिया। कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया और देवताओं के साथ ही सृष्टि को तारकासुर के आतंक से मुक्ति दिलाई।

सीख- शिव जी ने संदेश दिया है कि हमें संतान को ऐसे काम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए, जिनसे समाज का भला होता है।

टीम बनाकर काम करें

माना जाता है कि इस सृष्टि की रचना शिव जी की इच्छा से ब्रह्मा जी ने की है। इसका संचालन शिव जी ने भगवान विष्णु को सौंप रखा है और स्वयं संहारक की भूमिका निभाते हैं। सृष्टि का संचालन करने के लिए तीनों देव एक टीम बनाकर काम कर रहे हैं। तभी इतना बड़ा काम व्यवस्थित ढंग से हो पा रहा है।

सीख - लक्ष्य बड़ा हो तो हमें टीम बनाकर काम करना चाहिए। टीम के सभी सदस्य अपनी-अपनी योग्यता के हिसाब से काम का बंटवारा करके आगे बढ़ेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी।

कभी भी घमंड न करें

महाभारत के समय अर्जुन को अपनी धनुर्विद्या पर घमंड हो गया था। उस समय शिव जी ने एक वनवासी के वेष में अर्जुन का घमंड तोड़ा था। अर्जुन एक वनवासी को सामान्य व्यक्ति समझ रहे थे, लेकिन धनुर्विद्या में शिव जी ने वनवासी के वेश में अर्जुन को हरा दिया था। शिव जी चाहते थे कि अर्जुन घमंड छोड़ दें ताकि युद्ध में पांडवों की जीत हो सके।

सीख - घमंड किसी को भी बर्बाद कर सकता है, इसे जल्दी से जल्दी छोड़ देना चाहिए। कभी किसी को छोटा न समझें।

बिन बुलाए किसी के घर न जाएं

देवी सती और शिव जी से जुड़ा प्रसंग है। सती के पिता दक्ष ने यज्ञ किया तो उसमें शिव-सती को नहीं बुलाया। सती को ये बात मालूम हुई तो वह बिन बुलाए पिता के यहां जाने की जिद करने लगीं। शिव जी ने समझाया कि बिना बुलाए हमें नहीं जाना चाहिए, लेकिन सती नहीं मानीं और पिता के यहां यज्ञ में पहुंच गईं।
दक्ष ने सती के सामने शिव जी के लिए अपमानजनक बातें कहीं। सती शिव जी का अपमान नहीं सह सकीं और दक्ष के यहां यज्ञ कुंड में कूद कर अपनी देह त्याग दी।

सीख- शिव-सती के इस किस्से की सही यही है कि हमें कभी भी किसी के यहां बिन बुलाए नहीं जाना चाहिए

 

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