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 मन अशांत और विचार नकारात्मक हैं तो अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करें, मन शांत हो जाएगा

लखनऊः जब इच्छाएं पूरी नहीं होती हैं, जब हम असफल हो जाते हैं तो मन अशांत हो जाता है। अशांत मन के साथ किए गए काम, पूजा-पाठ का पूरा फल नहीं मिलता है। अशांति के बारे में राजा परीक्षित ने शुकदेव से पूछा था कि कलियुग में लोग इतने बेचैन क्यों रहते हैं, लोगों का मन शांत क्यों नहीं रहता है? सभी अपनी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं।
शुकदेव जी ने परीक्षित से कहा कि पुराने समय में ये बात भूमि देवी ने भी भगवान से कही थी। देवी भूमि ने कहा था कि बड़े-बड़े राजा मुझे जीतना चाहते हैं, जबकि ये खुद मौत के खिलौने हैं। कोई भी व्यक्ति मरने के बाद मुझे अपने साथ नहीं ले जा सकता, फिर भी मुझे पाने के लिए इतने बेचैन रहते हैं।
शुकदेव जी ने परीक्षित को समझाया कि हम जो धन-संपत्ति कमाते हैं या जो पाना चाहते हैं, सारे झगड़े उसके लिए हैं। सभी चाहते हैं कि मेरे पास सब कुछ हो, दूसरों से ज्यादा हो। जबकि ये सारी चीजें यहीं रह जाएंगी, ये बात इंसान समझ नहीं पा रहे हैं।
परीक्षित ने शुकदेव जी की पूरी बात सुनी और फिर पूछा कि अशांति कैसे दूर करें, शांति पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
शुकदेव जी ने कहा कि जो लोग अपने इष्टदेव के नाम और उनके मंत्र जपते हैं, भजन, पूजा-पाठ और ध्यान करते हैं, उन्हें शांति जरूर मिलती है। शांति चाहते हैं तो इच्छाएं छोड़कर अपने इष्टदेव के नामों का जप करना चाहिए। मंत्र जप करने से हमारे मन में जो परिवर्तन होंगे, वे हमें शांत करेंगे।

शुकदेव जी की सीख

अशांति दूर करना चाहते हैं तो सबसे पहले में इच्छाओं का त्याग करना चाहिए। जो बातें हमारे नियंत्रण में नहीं हैं, उन पर ध्यान न दें और जो चीजें हमारे पास हैं, उनका आनंद लें। इसके साथ ही अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करना चाहिए और जप करने से नकारात्मक विचार दूर होते हैं, मन शांत हो जाता है।

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