Shaurya News India
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चंदौलीः सरकार की लाख कोशिशो के बाद भी छोटे-छोटे नवयुवक युवतियां आज भी अपनी जीवन को तलाशने के क्रम में क्षेत्र में बड़े-बड़े बोरे लिए हुए कचरों से निष्प्रयोग बोतल, प्लास्टिक, लोहे के टुकड़े आदी बीनकर अपने जीवन को व्यतीत करने का कार्य कर रहे हैं। वही उनके पारिवारिक जनों द्वारा उनकी परवरिश को लेकर बरती जा रही लापरवाही साफ तौर पर देखने को प्राप्त हो रही है। जहां सरकार द्वारा प्रत्येक यूनिट के अनुसार 5 किलो राशन प्रतिमा निःशुल्क वितरण किया जा रहा है।

जिससे देश के गरीब जनता की कुछ हद तक भरण पोषण करने में सहूलियत प्राप्त हो। वही परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के पठन-पाठन के साथ मध्यान भोजन की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है। जिसकी वजह से गरीब परिवार के बच्चे शिक्षित हो तथा उनके परिवारजनों पर बोझ भी ना पढ़ सके। वही बाल मजदूरी को लेकर बच्चों द्वारा किए जा रहे कार्यों पर रोक लगाने के लिए अधिकारियों की नियुक्ति भी की गई है। इन सबके बावजूद सकलडीहा क्षेत्र में इन दीनों प्रातः काल ही छोटे-छोटे बच्चे प्लास्टिक का थैला लिए हुए क्षेत्र में फैले कचरो में से प्लास्टिक वगैरह बीनकर दुकानों पर बेचने का कार्य करते हैं। जबकि ऐसे उम्र में इन लोगों के खेलने कूदने के साथ शिक्षक ग्रहण करने का कार्य करना चाहिए। परंतु यह बच्चे किसी न किसी कारण वस अपनी मूलभूत सुविधाओं को छोड़कर ऐसे कार्य करने के लिए मजबूर है। जिला प्रशासन को ऐसे कार्यों पर रोक लगाने के क्रम में कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। जिससे इन बच्चों को अपना जीवन आनंद मय तरीके से व्यतीत करने में किसी प्रकार की परेशानी ना उत्पन्न हो। वही उनकी गार्जियनों से संपर्क कर बच्चों द्वारा किए गए कार्य पर रोक लगाने के लिए निर्देशित करना चाहिए।

 

     

       

 

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