बबुरीः स्थानीय क्षेत्र के बौरी ग्राम सभा में श्रीराम कथा के पांचवें दिन श्रीराम व जानकी के विवाह प्रसंग सुन राम नाम रस में डूब कर श्रोतागणों ने जमकर गोता लगाया। वही मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने अर्धाली "राम चरित मानस यही नामा। सुनत श्रवण पाइए विश्रामा।" से श्रीराम कथा के पांचवें दिन कथा में प्रवेश किया। राम चरित मानस की प्रत्येक चौपाई के श्रवण मनन से आनंद की अनुभूति होती है। श्रीराम कथा के पांचवें दिन दिन गुरु महिमा एवं श्रीराम कथा से श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए जिससे पूरा क्षेत्र भक्तिमय रहा।
कथावाचिका शालिनी त्रिपाठी ने श्रीराम कथा के पांचवे दिन श्रीराम कथा महिमा एवं गुरु महिमा का वर्णन किया। कथा में संगीत मंडली ने मधुर व मनमोहक भजन पकड़ लो बाह रघुराई, नहीं तो डुब जायेंगे, प्रस्तुत कर पूरे क्षेत्र को भक्तिमय कर दिया। कथा का रसपान कराते उन्होंने कहा कि श्रीराम कण-कण में रमण करने वाली शक्ति है और श्रीराम की कथा श्रवण करने से इंसान भवसागर से पार हो जाता है। इसकी महिमा जितनी कही जाए कम ही है। जो भगवान की कथा को श्रवण कर अपने जीवन में चरितार्थ करते हैं उसका जीवन धन्य हो जाता है।
गुरु महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान जगत गुरू हैं, मनुष्य के जीवन में किसी न किसी गुरू की आवश्यकता रहती है। मनुष्य का जीवन बिना गुरू के अधूरा माना जाता है। गुरू के बिना ज्ञान नहीं मिलता और बिना ज्ञान के ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। जीवन रूपी पतंग की डोर गुरू के हाथ में होने से वे उसे ऊंचाई तक ले जाते हैं, जिससे सही दिशा में चलकर लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
रिपोर्ट- विनय पाठक