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चकियाः व्यक्ति के भक्ति और उसके कर्म का ही फल होता है कि ईश्वर विकट परिस्थितियों में उसके साथ खड़ा होता है।और हमेशा लोगों को दिमाग संसार में और दिल भगवान में लगाना चाहिए, भगवान की कथा को गाते वक्त गदगद ही होना चाहिए। मनुष्य को वाणी और वक्त का अगर ज्ञान हो जाए तो वह हर जगह पूजनीय हो जाता है। मनुष्य का भूल क्षम्य होता है लेकिन पाप अभी ईश्वर क्षम्य नहीं कर सकते। उक्त बातें काशी से पधारी कथावाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने श्री राम कथा की चौथी निशा पर राम जन्म के उत्सव के दौरान कहीं।

 उन्होंने कहा कि राम कथा मन से सुनी जाती है मस्तिष्क से नहीं, भगवान की करूणा व उनके प्रेम को याद करे वहीं सच्चा भक्त होता है। व्यक्ति के अंदर अगर धैर्य नहीं है तो वह रामकथा सुनने के योग्य नहीं है। भगवान तो मनुष्य का हित ही बल्कि उसका परमहित भी देखते हैं। वहीं उन्होंने कहा कि गुरु निष्ठा से बनाना चाहिए।कभी उसकी प्रतिष्ठा देखकर गुरू नहीं मानना चाहिए।वेद,कर्म उपासना तीनों से भगवान की प्राप्ति होती है।कहा कि जो व्यक्ति गलत राह पर चलेगा तो वह अपना विनाश स्वयं कर बैठेगा। इसलिए किसी के धर्म और धन के प्रलोभन में नहीं पड़ना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि व्यक्ति के घर में बैठी उसकी मां आंसू बहाए और बाहर की प्रतिमा की पूजा करे,तो मां कभी प्रसन्न नहीं होती। रामकथा के चौथी निशा पर भगवान राम के जन्मोत्सव के मौके पर राम कथा का रसपान कर श्रोता भाव विभोर हो उठे। और लोगों ने जमकर आनंद लिया। राम के जन्म लेते ही पूरा पंडाल भक्तिमय हो गया। कार्यक्रम का शुभारंभ समिति के अवध बिहारी मिश्रा ने दीप प्रज्वलित कर किया।

इस दौरान विजयानंद द्विवेदी, परशुराम सिंह, पूर्व विधायक राजेश बहेलियां,अवध बिहारी मिश्रा, रामकिंकर राय, राम अवध पांडेय, रामचंद्र तिवारी, कैलाश प्रसाद जायसवाल,सभासद रवि गुप्ता,मीना विश्वकर्मा, संजय त्रिपाठी, सच्चिदानंद त्रिपाठी, कृष्ण कुमार पांडे चंद्रभान पांडेय, सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

 

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