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चंदौली भारतीय लोकतंत्र की एक अद्वितीय मिसाल सामने आई जब शहाबगंज के मेखुरी गाँव के निवासी, 108 वर्षीय मौर्य ने चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
यह घटना न केवल गाँव में बल्कि पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है।इतनी लंबी उम्र में भी उनका मतदान के प्रति उत्साह और जोश देखने लायक था। मौर्य जी ने अपने जीवन के इस लंबे सफर में कई राजनीतिक और सामाजिक बदलाव देखे हैं।
वे कहते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक के हर महत्वपूर्ण चुनाव में उन्होंने भाग लिया है।मौर्य जी के परिवार और गाँववालों ने उनके मतदान की इच्छा का पूरा समर्थन किया। उनके पोते-पोतियों और परिजनों ने उन्हें मतदान केंद्र तक पहुँचाने में मदद की। इस अवसर पर गाँव के कई लोग उन्हें देखने और उनसे प्रेरणा लेने के लिए एकत्र हुए।
मतदान केंद्र पर मौर्य जी के आगमन पर विशेष व्यवस्था की गई थी। अधिकारियों ने उन्हें प्राथमिकता देते हुए कतार में बिना देर किए मतदान करने का अवसर प्रदान किया। मतदान केंद्र पर सुरक्षा और सुविधा का पूरा ध्यान रखा गया था ताकि मौर्य जी बिना किसी कठिनाई के अपना मतदान कर सकें।
मौर्य जी की यह अनूठी पहल सभी उम्र के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है। उनके इस कदम ने यह साबित किया कि उम्र कभी भी लोकतांत्रिक कर्तव्यों को निभाने में बाधा नहीं बन सकती।
स्थानीय लोगों ने उनके इस साहसिक कार्य की भूरी-भूरी प्रशंसा की और युवाओं को भी इससे प्रेरणा लेने का संदेश दिया।मेखुरी मौर्य जी का 108 साल की उम्र में मतदान करना भारतीय लोकतंत्र की ताकत
और इसकी जड़ों की गहराई को दर्शाता है। उनका यह कदम सभी को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक और प्रेरित करता रहेगा। यह घटना शहाबगंज के इतिहास में एक विशेष स्थान रखती है और इसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा।