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मोदीजी जी को अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल की 5वीं सिंगापुर यात्रा के दौरान उस राष्ट्र ने इतना अधिक आकर्षित किया कि उन्होंने भारत को सिंगापुर के सदृश बनाने का दृढ़ निश्चिय किया है। यह उनके द्वारा लिया गया एक श्रेष्ठ निर्णय है और यदि वे अपने लक्ष्य की पूर्ति में सक्षम हो जाते हैं तो किसी भी भारतीय को स्वर्ग जाने की इच्छा नहीं रहेगी क्योंकि सिंगापुर स्वर्ग का ही प्रतिरूप है। प्रधानमंत्री मोदी जी की कार्य शैली से सभी भलीं भांति परिचित हैं कि वे जब भी किसी कार्य को करने का दृढ़ निश्चिय कर लेते हैं तो उसकी परिणीति तक प्रयासरत् रहते हैं। अब भारत को सिंगापुर बनाने की मोदीजी के समक्ष एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इस लक्ष्य की पूर्ति हेतु उन्हें अनेकों बाधाओं को दूर करने हेतु कुछ ठोस कदम अथवा निर्णय लेने होंगे, वे निम्न प्रकार हैं -

1. भारत को सिंगापुर सदृश बनाने की कल्पना में सबसे प्रमुख बाधक समस्या भ्रष्टाचार की है। भारत देश की गणना विश्व के भ्रष्टाचार वाले देशों की श्रेणी में होती है, जिसको शून्य प्रतिशत पर लाने के लिए मोदी जी को वृहद कदम उठाने होंगे। भारत में यदि ईमानदार राजनीतिज्ञो की गणना करें तो उनकी संख्या नगण्य है। 

2. सिंगापुर में न्यायपालिका, चुनाव आयोग, पीठासीन अधिकारी अथवा किसी भी संवैधानिक संस्था पर किसी भी प्रकार का आक्षेप कभी भी नहीं लगाया गया, जबकि स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर अब तक भारत में उपरोक्त समस्त संस्थाओं की निश्पक्षता पर प्रश्न चिह्न लगते रहें हैं।

3. सिंगापुर के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री अथवा अन्य नेतागण निडरता के साथ बिना किसी विशेष सुरक्षा व्यवस्था के साईकिल पर आम जनता के मध्य विचरण करते हैं, जबकि भारत के राजनेतागर्ण ़ए ल़् श्रेणी की सुरक्षा के साथ राजा महाराजा के समान मार्ग पर निकलते हैं, वहाँ पर प्रशासन द्वारा जनता के आवागमन के सभी रास्ते बंद कर दिए जाते हैं, निरीह जनता उस असुविधा तथा उसके कारणों को धिक्कारते हुए उनके निकल जाने की प्रतीक्षा करती रहती है। 

4. सिंगापुर में जनता को त्वरित न्याय मिलता है और भारत के विभिन्न न्यायालयों में लगभग 8 करोड़ मुकदमे लम्बित पड़े हुए हैं अर्थात् भारत की आधी से अधिक जनता 20-25 वर्षो तक न्याय की आस में न्यायालयों में चक्कर लगा रही है।

5. सिंगापुर में एक भी महिला के उत्पीढ़न की घटना सुनने को नहीं मिली जबकि भारत में सरकारी आंकड़ो के अनुसार, लगभग 100 महिलाओं का यौन शोषण प्रतिदिन होता है और इसके अतिरिक्त ऐसे जो कृत्य पुलिस में दर्ज ही नहीं हो पाते, उनकी संख्या कितनी होगी, इसका अनुमान लगाना भी सम्भव नहीं है।

6. भारत देश में 3 से 4 महिलाओं का शोषण/उत्पीढ़न/हिंसा प्रत्येक मिनट में होता है, जबकि सिंगापुर में ऐसा सुनने को भी नहीं मिलता है।

7. भारत में शुद्ध पेय एवं खाद्य पदार्थ को ढूंढना अत्यंत दुष्कर है। अबोध शिशुओं के दूध से लेकर वृद्धों के खाद्य पदार्थो तक मिलावट ही मिलावट है, जबकि सिंगापुर में सभी खाद्य तथा पेय पदार्थ बिना मिलावट के अर्थात् शुद्ध रूप में उपलब्ध हैं। 

8. सिंगापुर देश अपराध विहीन होने के कारण वहाँ की सड़कों पर पुलिस के दर्शन दुर्लभ हैं, परन्तु भारत में अपराधों की अधिकता के कारण यहाँ सड़को और चौराहों पर हर समय पुलिस तैनात रहती है, फिर भी निराशाजनक तथ्य यह है कि पुलिस की उपस्थिति में भी अपराधी, अपराध करके भाग जाते हैं। 

9. भारत में नवीन उद्यमियों अथवा अन्य प्रकार के निवेशकों का रास्ता सुगम करने के स्थान पर उनका उपहास किया जाता है इतना ही नहीं, उन्हें विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके विपरीत, सिंगापुर में उनके लिए रेड कारपेट अर्थात् अत्यधिक सम्मान किया जाता है तथा अधिकारीगण, उन निवेशको के घर जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं। यहाँ निवेशक अधिकारियों एवं मंत्रियो के कार्यालयों के चक्कर काटते रहते हैं।

10. सिंगापुर में उच्च श्रेणी की शिक्षा व्यवस्था है, जबकि भारत की सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था को दीमक लगी हुई है और नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के प्रकरण प्रकाश में आते रहते हैं।  

11. सम्पूर्ण विश्व में सिंगापुर की चिकित्सा व्यवस्था का स्तर उच्चतम है, चिकित्सक कभी हड़ताल पर नहीं जाते, शिशु से लेकर वृद्ध एवं नेता से लेकर अभिनेता तक, सभी को एक समान एवं निःशुल्क चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाती है जबकि भारत में चिकित्सा का स्तर निम्नतम् एवं भ्रष्टाचार से परिपूर्ण है।

12. सिंगापुर की सड़के, पुल, सरकारी कार्यालय एवं सभी सार्वजनिक भवनों का निर्माण उच्च कोटी का होने के कारण विश्व प्रसिद्ध है, इसके विपरीत भारत में पुल बनते-बनते गिर जाते हैं, सड़के निर्माण के तुरन्त पश्चात ही टूट जाती है, सार्वजनिक भवन कुछ ही समय पश्चात क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।  

13. सिंगापुर में वृद्धो का सम्मान किया जाता है तथा उन्हें प्रत्येक सुविधा निःशुल्क तथा उत्तम श्रेणी की प्रदान की जाती है, जबकि भारतीय वृद्धों को उनके नालायक बच्चे अपनी जिम्मेदारी को ना समझते हुए, वृद्धाश्रमों में अथवा सड़को पर छोड़ देते हैं।

14. सिंगापुर स्वच्छता एवं न्याय का श्रेष्ठतम उदाहरण है इसके विपरीत भारत में स्वच्छता के नियमों का पालन न करना और सभी प्रकार के कानून को तोड़ना एक गर्व का विषय माना जाता है।

इनके अतिरिक्त अनेकोनेक ऐसे विषय है जो मोदी जी के समक्ष भारत को सिंगापुर बनाने में अवरोधक है। यदि मोदी जी के अथक प्रयासों से भारत को सिंगापुर सदृश बनाने का स्वप्न पूर्ण हो जाता है तो भारत विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बन जाएगा। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि मोदी जी की को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें। हम आशा करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जी अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति में अवश्य ही सफल होंगे और उनका नाम भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित किया जाएगा। हमें अपने प्रिय प्रधानमंत्री मोदी जी की कर्मठता पर गर्व है।

 

योगेश मोहन

( वरिष्ठ पत्रकार और आईआईएमटी यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति )

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