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अमेठी भेंटुआ। ग्राम पंचायतों में विकास की जिम्मेदारी प्रधानों पर होती है, लेकिन जब जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया जाए, तो हालात ग्राम पंचायत मई जैसे बन जाते हैं।
लाखों रुपये की लागत से लगाई गईं स्ट्रीट लाइटें महीनों से खराब पड़ी हैं।
ठंड और कोहरे के बीच छाया अंधकार न केवल ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा रहा है, बल्कि अराजक तत्वों और चोर-उचक्कों के लिए सुनहरा मौका बन गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि स्ट्रीट लाइटें सिर्फ कागजों में चालू हैं और खंभों पर शोभा बढ़ा रही हैं। हकीकत यह है कि ये महीनों से बंद पड़ी हैं।
कुछ दिनों पहले अंधेरे का फायदा उठाकर गौ तस्करों ने गांव में वारदात को अंजाम दिया, लेकिन न तो ग्राम प्रधान ने इस पर कोई ध्यान दिया और न ही ब्लॉक के अधिकारियों ने।
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान और सचिव की मिलीभगत से विकास कार्यों के नाम पर केवल धन उगाही होती है। योजनाएं कागजों तक सीमित रह जाती हैं, और जमीन पर कुछ भी नहीं बदला जाता।
ठंड और कोहरे के मौसम में छाए अंधेरे से ग्रामीणों की सुरक्षा खतरे में है। महिलाएं और बच्चे शाम होते ही घरों में कैद हो जाते हैं।
गांव के लोग जिला प्रशासन से इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि जल्द ही स्ट्रीट लाइटें ठीक नहीं की गईं, तो वे विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
आखिर सवाल यह है कि इस अनदेखी का जिम्मेदार कौन है? प्रधान, सचिव, या ब्लॉक अधिकारी? और कब तक ग्रामीण ऐसे ही परेशान रहेंगे?