श्री अग्रसेन कन्या पी.जी. कॉलेज वाराणसी के परमानंदपुर परिसर में दिनांक 24.01.2025 को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर समाजशास्त्र विभाग एवं मिशन शक्ति, महिला सशक्तिकरण के संयुक्त तत्वावधान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मिशन शक्ति एवं महिला सशक्तिकरण प्रकोष्ठ की समन्वयक डॉ श्रृंखला ने विषय स्थापना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं के सर्वांगीण विकास हेतु निरंतर प्रयास करना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है
जिससे वे अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें ।शिक्षित बालिकाएं ही सशक्त राष्ट्र एवं सशक्त समाज का निर्माण कर सकती हैं। इसीलिए इस वर्ष का थीम "सुनहरे भविष्य के लिए बच्चियों का सशक्तिकरण" रखा गया है। मुख्य वक्ता प्रो दयाशंकर यादव, सकलडीहा पी.जी. कॉलेज, ने अपने वक्तव्य में कहा कि बालिकाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त होने की आवश्यकता है , जिससे वे किसी भी समस्या का समाधान स्वयं कर सके दूसरों पर निर्भर ना रहे
आत्मनिर्भर होकर ही वे सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान दे सकती हैं। प्रो आभा सक्सेना ने अपने वक्तव्य में बालिकाओं को स्वयं को पहचानने, अपने लक्ष्य पर ध्यान रखने व एकीकृत होने की बात कही। प्रो रमा पांडे ने कहा कि समाज में लड़कियों को लड़कों के ही समान समाजीकरण करने एवं उन्हें समान अधिकार मिलने चाहिए।
डॉ दुर्गा गौतम ने साइबर क्राइम, इंटरनेट से होने वाली समस्याओं जैसी ज्वलंत मुद्दों पर विचार व्यक्त किया।डॉ शोभा प्रजापति, डॉ श्वेता सिंह , डॉ साधना यादव ने भी राष्ट्रीय बालिका दिवस पर अपने विचार व्यक्त किये। समाजशास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो कुमुद सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि यह दिवस बालिकाओं के सशक्तिकरण और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है
, जिसमें लैंगिक समानता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। छात्राएं आकांक्षा मिश्रा, अनुष्का प्रजापति, महिमा यादव, सेजल मिश्रा, प्रतिभा मौर्य, पूजा यादव ने कविता के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम का संचालन मिशन शक्ति एवं महिला सशक्तिकरण की सह समन्वयक डॉ सुधा यादव एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनीता सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ मृदुला व्यास, डॉ बंदनी, डॉ पूनम श्रीवास्तव डॉ उषा चौधरी, डॉ विनीता पांडे इत्यादि प्रवक्तागण तथा छात्राएं उपस्थित रही।
रिपोर्ट धनेश्वर सहनी