वाराणसीः रविवार को शिक्षा संकाय काशी विद्यापीठ सभागार में ट्रांसजेंडर सेल काशी विद्यापीठ और बनारस क्वीर प्राइड, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
आज के राष्ट्रीय कार्यशाला में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, काशी हिंदू विश्वविद्यालय एवं विद्यापीठ से सम्बद्ध महाविद्यालयों के विद्यार्थी, शिक्षकों के साथ साथ बनारस के बुद्धिजीवी , सामाजिक कार्यकर्ता और एलजीबीटी समुदाय की बड़ी संख्या में भागीदारी रही।
कार्यशाला में ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों, संवैधानिक अधिकार और कानून की सविस्तार जानकारी दी गयी। सभा के मध्य से सवाल जवाब के माध्यम से समावेशी चर्चा सत्र भी रखा गया।
कार्यशाला में फिल्म प्रदर्शन, नाटक मंचन के द्वारा ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) समुदायों की पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक समस्यायों और संघर्ष को दर्शाया गया।
जेंडर क्या है ? जेंडर आधारित हिंसा क्या है ? यौनिकता और मानसिक स्वास्थ्य क्या हैं ? और ये सभी मुद्दे किस प्रकार से आपस में जुड़े हुए हैं ? जैसे जरूरी सवालों पर समझ बनाने के उद्देश्य से आयोजित आज की कार्यशाला काफी सफल रही।
कार्यशाला में हमसफर संस्था, लखनउ से आए नॉन बाइनरी ट्रांसजेंडर ऋत्विक ने समुदाय के अब तक के संघर्षों और उससे मिले कानूनी अधिकार की बात करते हुए आज भी समाज द्वारा मिलने वाले नफ़रत, भेद भाव और तिरस्कार के मुद्दे पर विषद चर्चा की।
नई दिल्ली से आए दलित ट्रांसमैन कबीर मान ने जेंडर के शोषण और संघर्ष में दलित होने पर तकलीफ के दोगुने होने के आयाम पर बात रखी।
प्रो० संजय पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष, सामाज कार्य संकाय, समन्वयक - ट्रांसजेंडर सेल, म गां काशी विद्यापीठ ने ट्रांसजेंडर सेल की स्थापना में माननीय कुलाधिपति एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश श्रीमती आनंदीबेन पटेल एवं कुलपति प्रो0 आनंद कुमार त्यागी के योगदान एवं दूरदर्शी सोच पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस सेल का उद्देश्य अकादमिक संस्थानों को जेंडर संवेदनशील विशेषकर ट्रांसजेंडर विद्यार्थोयों हेतु इस संस्था के माहौल को संवेदनशील बनाना एवं एल जी बी टी समुदाय के विद्यार्थियों के पंजीकरण को प्रोत्साहित करना है। साथ ही उनको कैरियर उन्मुखी एवं कुशल बनानें हेतु कार्यशालाओं एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना है।
जेंडर आइडेंटिटी नामक शार्ट फिल्म में जेंडर को सामाज द्वारा गढ़े गए विचार के रूप में समझाया गया। फिल्म ने प्रतिभागियों को महिला-पुरुष की दो ही श्रेणियों तक सीमित जेंडर की अवधारणा पर सवाल उठाने के लिए सोचने पर प्रोत्साहित की। फिल्म के बाद एक नाटक का मंचन भी हुआ। सेल के सह समन्वयक प्रो. अनुराग कुमार ने साहित्य में ट्रांसजेंडर के विषय पर किये जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में ट्रांसजेंडर सेल की सदस्य प्रो. रेखा, विभागाध्यक्ष, समाज शास्त्र, प्रो. सुरेन्द्र राम –विभागाध्यक्ष, शिक्षा संकाय, प्रो. शैलेन्द्र कुमार वर्मा – पूर्व विभागाध्यक्ष, शिक्षा संकाय , प्रो. रमाकान्त सिंह, श्रीमती ज्योत्सना आदि प्रमुख रहे।
फिल्म प्रदर्शन चर्चा आदि के बाद कार्यशाला के समापन के समय समुदाय के लोगों ने टैलेंट हंट कार्यक्रम प्रस्तुति की। इस कार्यक्रम में समुदाय के लोग मंच पर सामने खड़े होकर नृत्य गीत कविता आदि का प्रदर्शन किये।
कार्यशाला का सफल संचालन शिवांगी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. संजय ने किया।
कार्यशाला में छात्रों के अतिरिक्त प्रिज्मैटिक फाउंडेशन, एशियन ब्रिज इण्डिया, उमाकांत सर्विस फाउंडेशन, वाई पी फाउंडेशन, ताना बाना और दख़ल संगठन का सहयोग रहा। नीति, मो0, मूसा आजमी, ज्योति , जितेंद्र, दीक्षा, अनुज, सुनील, चन्द्रमालिका, परीक्षित, शालिनी, विजेता, अनन्या, अंकित, रणधीर, वैभव, श्रेय्जल, आर्या और हिजड़ा समुदाय से सानिया, विशाखा, संजू, रागिनी और सानिया की भूमिका विशिष्ट रही।
रिपोर्ट- जगदीश शुक्ला