![Shaurya News India](backend/newsphotos/1729245115-whatsapp_image_2024-10-18_at_2.43.05_pm.jpg)
वाराणसी। ज्ञानवापी प्रकरण में वृंदावन मथुरा के संत सनातन धर्म रक्षापीठ के पीठाधीश्वर कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर की तरफ से दाखिल वाद की सुनवाई गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में हुई।मामले में प्रतिवादी संख्या-1 श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से न्यायालय में उपस्थिति दर्ज कराई गई। वहीं, अदालत ने प्रतिवादी संख्या-1 यानी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी को उपस्थित होने का आदेश दिया। अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि छह नवंबर तय की है।
कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर ने अपने वाद में ज्ञानवापी परिसर को भगवान श्री काशी विश्वनाथ के मूल ज्योतिर्लिंग का मंदिर बताया है। उनका कहना है कि मसाजिद कमेटी जिस स्थान पर कथित रूप से मस्जिद संचालित कर रही है, उसे वास्तविकता में क्षत्रिय समाज के राजा-महाराजाओं ने निर्मित और संरक्षित किया था।
इसमें विशेषकर भगवान श्रीराम के पूर्वज सूर्यवंशी क्षत्रिय सम्राट हरिश्चंद्र ने बड़ा योगदान दिया था। इसके बाद क्षत्रिय परमार वंश के राजाओं ने इसे संरक्षित किया था। राठौड़ गहरवार वंश के राजाओं ने मंदिर को भव्य रूप दिया था। मगर, मुस्लिम आक्रांताओं ने मंदिर के भवन को कई बार नुकसान पहुंचाया।
मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर के मूल भवन का नाम ज्ञानवापी मस्जिद कर उस पर अवैध कब्जा कर लिया। इसलिए ज्ञानवापी मंदिर के भवन को मुक्त कराने और भगवान श्री काशी विश्वनाथ के ज्योतिर्लिंग के अस्तित्व की रक्षा के लिए वाद दाखिल किया गया है।
रिपोर्ट रोशनी