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वाराणसी। कूटरचित दस्तावेज के आधार पर धोखाधड़ी करते हुए फर्जी दान विलेख करवा लेने के मामले में अदालत ने कड़ा रुख अपनाया है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (तृतीय) पवन कुमार सिंह की अदालत ने इस मामले में आरोपित तीन सगे भाइयों आशुतोष अग्रवाल, अश्विनी अग्रवाल व अमृत अग्रवाल के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने का आदेश लंका पुलिस को दिया। 

⚡️प्रकरण के अनुसार लंका निवासी जितेंद्र खंडेलवाल ने अपने अधिवक्ता राकेश तिवारी एवं योगेंद्र सिंह प्रदीप के जरिए अदालत में बीएनएनएस की धारा 173(4) के तहत प्रार्थना पत्र दिया था। आरोप था कि उसने और उसके सगे भाई मनोज खंडेलवाल ने अपने सगे चाचा से लंका क्षेत्र में स्थित भवन संख्या बी-31/32 के जुज़ भाग में से 2000 स्वायर फीट जमीन का दान विलेख अपने सगे चाचा श्रीनाथ खंडेलवाल से दो सितंबर 2014 को कराया था और उस पर अपना नाम भी चढ़वा लिया था। इस बीच आरोपित तीन सगे भाइयों आशुतोष अग्रवाल, अश्विनी अग्रवाल व अमृत अग्रवाल ने उसके चाचा से उनके शेष बचे भवन 440 स्वायर फीट का रजिस्ट्री कराया। जिसमें विक्रय विलेख में स्पष्ट लिखा था कि श्रीनाथ खंडेलवाल ने अपने संपूर्ण अंश की रजिस्ट्री कर दी है और अब कोई शेष जमीन नहीं बची है, लेकिन बाद में बेईमानी की नियत से उक्त तीनों भाइयों ने धोखाधड़ी व कूटरचना करते हुए प्रार्थी के दान लिए भूमि का फर्जी दान विलेख अपने पिता कामता प्रसाद अग्रवाल के पक्ष में करवा लिया। उसके चाचा और कामता प्रसाद की मृत्यु के बाद तीनों आरोपित उसकी भूमि पर कब्जा करने का प्रयास करने लगे तो प्रार्थी ने इस धोखाधड़ी का विरोध किया। इस पर आरोपितों ने उसे जान से मारने की धमकी देने लगे। इस पर उसने घटना की सूचना पुलिस को दी, लेकिन कोई कार्यवाही न करने पर उसने अदालत की शरण ली।

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