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वाराणसी के रामनगर की आकांक्षा वर्मा बताती हैं जब उन्होंने खेलना शुरू किया तो घर की माली हालत ठीक नहीं थी। पिता मोबाईल पर काम कर घर का खर्च उठाते थे लेकिन उन्होंने मेरा सपना पूरा करने के लिए जमीन-आसमान एक कर, एक-एक पैसे जोड़ खेलने का किट खरीदा।


बताया कि राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने से पहले छह माह तक घर में किसी को नया कपड़ा नहीं खरीदा गया , बर्थडे-होली तक नहीं मनाई गई। पूरे परिवार ने मेरे सपने को पूरा करने के लिए काफी संघर्ष किया है।


राष्ट्रीय कराटे प्रतियोगिता में आकांक्षा ने तीन कांस्य, यूपी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में आठ रजत, खेलो इंडिया में रजत पदक, 2022 श्रीलंका में आयोजित साउथ एशिया चैम्पियनशिप दो कांस्य 2022, एशियन चैम्पियनशिप उजबेकिस्तान में सातवां स्थान, शारजाह चैम्पियनशिप 2023 में कांस्य और इसी वर्ष अखिल भारतीय कराटे प्रतियोगिता दो रजत एक स्वर्ण पदक जीता है। बताया कि 2018 से अबतक 13 पदक जीते चूकी हैं।


कर्ज में हैं पिता, कोच करते हैं काफा मदद
पिता अनिल ने आगे बताया कि आकांक्षा के लिए हम पड़ोसियों से या जानने वालों से कर्ज लेकर उसे खेलने भेजते हैं। इसमें हमारा सपोर्ट उनके कोच आफताब भी करते हैं। मां मंजू के अनुसार, आकांक्षा, उन्नति और आशीर्वाद हमारे तीन बच्चे हैं। आकांक्षा पढाई और खेल दोनों में तेज है।


वह घर का हर काम करती है लेकिन कराटे को लेकर दीवानी है। अक्सर उसे कहीं खेलने जाना होता तो घर में पैसा नहीं होता। ऐसे में हमें रिश्तेदारों, पड़ोसियों से कर्ज लेना पड़ता है। हमारी बेटी हमारा नाम रौशन कर रही है।
साभार

 

रिपोर्ट रोशनी

 

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