Shaurya News India
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अभ्युदय अर्थात् लौकिक उन्नति और निःश्रेयस अर्थात् पारलौकिक लक्ष्यों की प्राप्ति करने वाले कर्मसमूह को धर्म के नाम से जाना गया है।सतर्कता में शिथिलता धर्म-कर्म को भी प्रदूषित कर देती है,जो कि आज धर्म के प्रत्येक क्षेत्र में फैलती दिखाई दे रही है।आज हमारा ख़ान-पान ही नहीं, अन्न-जल तक प्रदूषित हो गया है।पूजा की सामग्री प्रदूषित है।मन्त्र-अनुष्ठान प्रदूषित हैं,भाषा-भाव और भङ्गिमा भी प्रदूषित हो रहे हैं।नये-नये देवता बनते जा रहे हैं

।धर्म-अधर्म से मिश्रित हो रहा है।यदि अधर्म अपने स्पष्ट रूप में हमारे सामने आए तो बहुत सम्भव है कि हम उससे बच सकें पर जब वह धर्म के रूप में हमारे सामने आता है तो उससे बचना कठिन हो जाता है।भागवत जी में व्यास जी ने अधर्म की उन पाँच शाखाओं का उल्लेख-विधर्म,परधर्म,आभास,उपमा और छल कहकर किया है।यही धार्मिक प्रदूषण है जो अधर्म को धर्म के रूप में प्रस्तुत कर हमें गर्त में ले जा रहा है। 

उक्त बाते आज परमधर्मसंसद में धार्मिक प्रदूषण पहचान एवं निवारण विषय पर परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती १००८ ने कही।

आगे कहा की विधर्म माने धर्म समझकर करने पर भी जिससे धर्मकार्य में बाधा पडती हो जैसे यहूदी,पारसी,ईसाई, इस्लाम आदि।परधर्म माने अन्य के द्वारा अन्य के लिए उपदिष्ट धर्म जैसे  ब्रह्मचारी का गृहस्थ को, गृहस्थ का संन्यासी को।

आभास स्वेच्छाचार जो धर्म सा लगता है जैसे अनधिकारी का संन्यास। उपमा माने पाखण्ड/दम्भ तथा छल माने शास्त्र वचनों की अपने मन से की गयी व्याख्या या उनमें अपने मनमाना बदलाव कर देना।समस्त सनातनधर्मियों को सतर्क रहकर धर्म के सच्चे स्वरूप को समझते हुए धार्मिक प्रदूषणों से बचकर रहने की आवश्यकता है।

परमधर्मसंसद् १००८ एक पुस्तिका के माध्यम से हिंदुओं तक इस बारे में समझ विकसित करने का प्रयास करेगी। 

आज विशिष्ट अतिथि के रूप में महामण्डलेश्वर श्री स्वामी आशुतोष गिरी जी महाराज उपस्थित रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि देश में गौ हत्या पूर्णतः प्रतिबन्धित हो और गौ माता को राष्ट्र माता का दर्जा मिले इसके लिए हम सबको एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए

 इस गौ प्रतिष्ठा आन्दोलन में हम ज्योतिष्पीठ के शङ्कराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द जी के साथ हैं और हर वो सम्भव प्रयास करेंगे जिससे इस आन्दोलन को सफलता मिले।

परमधर्मसंसद का शुभारम्भ जायोद्घोष से हुआ।प्रश्न काल के बाद परम गौ भक्त श्री गोपालमणि  ने विषय की स्थापना की।उन्होंने कहा कि दूध में मिलावट कर उसे प्रदूषित करने वालों को समाप्त कर देना भी दोष नहीं है

 सदन हुई चर्चा में अन्न जल के प्रदूषण विषय पर साध्वी पूर्णम्बा,परम्परा में प्रदूषण विषय पर स्वामी ज्ञानतीर्थ जी ने,राजनीतिक विषय पर देवेंद्र पांडे  ने,मंदिरों में प्रदूषण विषय पर अजय शर्मा ने भाग लिया।

इसके अतिरिक्त सक्षम सिंह,राहुल साहू,सुनील शुक्ला,अनुसुईया प्रसाद उनियाल,फलाहारी बाबा, डॉ गजेंद्र यादव,जोशे हरमन,गुंजलों,संजय जैन,ब्रह्मचारी हृदयानंद,नचिकेता खुराना,राहुल जायसवाल,मधुर राय,आदि ने भी चर्चा में भाग लिया।अंत में शंकराचार्य  ने परमधर्मादेश जारी किया।प्रकर धर्माधीश के रूप में  देवेंद्र पांडेय जी ने संसद् का संचालन किया।

 

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