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वाराणसी। महाकुंभ में माघी पूर्णिमा स्नान के बाद भी बचे अखाड़ों के नागा साधु और संन्यासी काशी आ रहे हैं। लेकिन, भीड़ के चलते कई अखाड़ों के लाव-लश्कर प्रयाग में ही रुके हुए हैं। काशी में अब तक तीन हजार नागा साधु और संत पहुंचे हैं।भीड़ की वजह से धीरे-धीरे अटल, आनंद, महानिर्माणी, जूना आदि अखाड़े के बचे साधु संन्यासी आ रहे हैं। 20 फरवरी तक करीब दो हजार नागा साधुओं के आने की संभावना है। महाशिवरात्रि पर ये अखाड़े पेशवाई निकालकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करेंगे।
महाकुंभ में शैव, वैष्ण, उदासीन अखाड़ों के शिविर लगाए गए थे। सभी अखाड़ों के साधु-संत और संन्यासी मकरसंक्रांति, मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी के प्रमुख स्नान करने के बाद काशी आने लगे थे। लेकिन, भीड़ की वजह से कई अखाड़ों के साधु संत अब तक नहीं पहुंच पाए हैं।
सबसे बड़े जूना अखाड़े के कुछ ही साधु-संत सात फरवरी को काशी आ गए थे, लेकिन अब भी कई संत नहीं आ सके हैं। अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि ने बताया कि अभी कुछ संन्यासी बचे हैं, उनके इस सप्ताह आने की संभावना है।
श्री पंच अग्नि अखाड़ा के संन्यासी पूर्णिमा स्नान के बाद चले हैं। इनके भी कुछ नागा साधु अभी काशी नहीं पहुंच सके हैं। आनंद अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा महानिर्वाण, शंभू पंचायती अटल और दशनाम आवाहन आदि अखाड़ों के भी साधु-संत अभी प्रयाग में ही हैं। काशी में जूना अखाड़े की पेशवाई निकल चुकी है। अब 18 फरवरी को आह्वान अखाड़े की पेशवाई निकलेगी।
अखाड़ों और घाटों पर कर रहे साधना
अभी काशी में तीन हजार से अधिक नागा साधु-संत पहुंचे हैं। वह अखाड़ों में पूजन-अर्चन और भंडारा कर रहे हैं तो घाटों पर साधना कर रहे हैं।
ये साधु-संत महाशिवरात्रि के बाद मसाने की होली खेलने के बाद अपने अखाड़ों की शाखाओं में जाएंगे। महाकुंभ के आकर्षण का केंद्र किन्नर अखाड़े बने हुए हैं। 26 फरवरी को सभी प्रयाग में स्नान करेंगे। इसके बाद अपने अखाड़े के लिए रवाना हो जाएंगे।
नागा साधुओं के लिए घाट पर ओपीडी फेफड़े में इंफेक्शन-एलर्जी की समस्या
महाकुंभ से काशी आए नागा साधुओं की सेहत को लेकर आईएमएस बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. वीएन मिश्रा ने खास पहल की है। घाटवॉक के तहत वह अपने सहयोगियों के साथ घाट ओपीडी चला रहे हैं। इसके माध्यम से नागा साधुओं के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं।
जांच के दौरान कई साधुओं के फेफड़े में इंफेक्शन और एलर्जी की समस्या मिल रही है। महाकुंभ में करीब महीने भर तक प्रयागराज में गंगा किनारे रहने के बाद बड़ी संख्या में नागा साधु काशी आ रहे हैं। इनमें किसी को सर्दी-जुकाम है तो कोई एलर्जी से परेशान है।
प्रो. वीएन मिश्रा ने बताया कि संगम किनारे रहने के दौरान रेत के कण शरीर में आ गए हैं। इससे उन्हें ये समस्या हो रही है। बताया कि घाटवॉक के तहत नियमित ओपीडी चलाई जा रही है।
हर दिन शाम 5 बजे टीम के साथ शिवाला, दांडीघाट, हनुमान घाट, शंकराचार्य घाट सहित अन्य घाटों पर ये ओपीडी चल रही है। अब तक करीब 50 से अधिक साधुओं को इसका लाभ पहुंचाया गया। मौके पर बीपी जांच व अन्य जरूरी जांच की जा रही है। जरूरत पड़ने पर बीएचयू में भी उपचार करवाया जाएगा।