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प्रभू श्री राम के बल की प्रशंसा : श्री राम जी अपने समय के सबसे बड़े बाहुबली थे । रामायण की शुरुआत में ही महर्षि वाल्मीकि राम के शरीर का वर्णन करते हुए कहते हैं कि - श्री राम जी का सीना उभरा हुआ ,कन्धे चौड़े, भुजाएं घुटनों तक लम्बी,माथा चौड़ा,गर्दन शंख के समान है । उनकी छाती कठोर है ,उनके शरीर के अंगों का विन्यास सम है ।

 

अकेले श्री राम जी भुजाओं का वर्णन रामायण में कम से कम 20 बार आया होगा । उनकी भुजाओं को गदा के समान मोटी बताया गया है । आज के हिसाब से लगभग 28-29 इंच का डोला रहा होगा । खैर डोला कितना भी हो लेकिन भुजाओं में बल अपार था ।

 

श्री राम जी के बल का प्रथम परिचय ताड़का सुबाहु युद्ध में मिलता है जब श्री राम जी ने अनेकों भयंकर राक्षसों को मार डाला था हालांकि उसमें लक्ष्मण भी साथ थे । श्री राम जी के शारीरिक बल का दुसरा उदाहरण शिव धनुष तोड़ने में मिलता है । वो धनुष इतना भारी व मजबूत था कि लोहे के संदूक में रखकर वो लाया गया था जिसमें 8-8 लोहे के पहिए लगे थे । उस विशाल धनुष को आर्यवर्त का कोई भी बली योद्धा अब तक उठा नहीं पाया था

 

लेकिन श्री राम जी ने बड़ी आराम से उस धनुष को उठाकर उस पर चाप चढ़ा डाली । परशुराम भी आश्चर्य में पड़ गये और उनके मन में श्री राम जी के बाहुबल का प्रदर्शन देखने की इच्छा जाग उठी इसलिए उन्होंने श्री रामजी से अपने विशाल धनुष पर चाप चढ़ाने को कहा था । यहां ये भी सोचना चाहिए

 

कि जिस धनुष को परशुराम श्री राम जी के बल को मापने का पैमाना बना रहे हैं वो धनुष कितना भारी भरकम और विशाल होगा । श्री राम ने परशुराम के उस विशाल धनुष पर बड़े आराम से चाप चढ़ा दी ये देखकर परशुराम चकित रह गए इसलिए नहीं कि श्री रामजी ने धनुष पर चाप चढ़ा दी थी बल्कि इसलिए कि इतनी आसानी से चढ़ा दी थी जैसे कोई बात ही ना हो ।

खरदूषण वध -

दरअसल खर दूषण वध के प्रसंग में ही श्री रामजी के शारीरिक बल के बारे में कुछ ठीक से अंदाजा लगता है । 14 हजार राक्षसों को अकेले श्री राम जी ने मौत के घाट उतार दिया वो भी मात्र सवा घंटे में । जगंल के ऋषि भी श्री राम का ये कारनामा देखकर हैरान से रह गये । श्री राम जी इतनी फुर्ती से बाण चलाते थे कि या तो वो केवल तरकश में दिखता था या सीने में घुसा हुआ दिखता था,कब निकाला,कब धनुष पर चढ़ाया,कब मारा इसका तो पता ही नहीं चलता था ।

 

राम के शारीरिक बल के चर्चे तो पहले से ही धरती पर थे किन्तु इस घटना के बाद तो हर कोई राम के शारीरिक बल का दीवाना हो गया । दरअसल ये सब सम्भव हुआ अखण्ड ब्रह्मचर्य की शक्ति से । श्री राम जी पत्नी के होते हुए भी ब्रह्मचारी थे । जो योद्धा अकेले ही 14 हजार राक्षसों को मार सकता है सोचिए कितना बल होगा उसमें ।

सुग्रीव द्वारा राम के बल की परीक्षा ---

श्री रामजी में बाली के मुकाबले कम से कम 7 गुना बल था क्योंकि बाली साल के एक वृक्ष में ही बाण पार कर सकता था लेकिन श्री रामजी ने एक बाण से सातों साल के वृक्ष काट डाले थे । ये देखकर सुग्रीव भी चौंक गया था । लोग कहते हैं कि फिर श्री राम ने बाली को छुपकर क्यों मारा ? तो इसका उत्तर यह है कि उस समय राजनीतिक परिस्थिति कुछ ऐसी फँसी के श्री राम को बाली को छुपकर मारना पड़ा ।

श्री राम ने कहा था कि जिस दिन रावण मेरे सामने आ गया उसी दिन उसका अन्त समझो ।

फिर श्री राम रावण युद्ध हुआ जिसमें श्री राम ने अनेकों राक्षसों को मौत की नींद सुआ दिया और रावण को मारा ।

श्री राम जी का शरीर इतना मजबूत था कि मेघनाद द्वारा नागपाश लगने पर लक्ष्मण तो बेहोश हो गये थे किन्तु श्री राम जी होश में रहे । इतनी घातक शक्ति को श्री राम जैसा नर ही सहन कर सकता था ।

एक बार श्री रामजी ने सुग्रीव को भी धमकी दे दी थी कि - अगर तुने अपना वचन पुरा नही किया तो सारी वानर जाति का नाश कर दूंगा ।

कुल मिलाकर श्री रामजी के समय में शारीरिक बल में श्री रामजी से बढ़कर कोई वीर नहीं था ।

 

 

रिपोर्ट ठाकुर अनिकेत शर्मा

 

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