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डाला/सोनभद्र- जहां आदिवासियों या गरीब मजदूर निवास कर रहा है. ऐसे स्थान पर निवासियों को सुविधा देना वह मकान देने की बात को लेकर के सरकार तरह-तरह के दावे कर रही है. वहीं ओबरा वन प्रभाग अंतर्गत वन रेंज डाला के गौराही में आदिवासी परिवार प्रयाग पुत्र तुलसी जिसे बनाधिकार का पट्टा लगभग 12 वर्ष पहले आराजी न0-15312 में रकवा लगभग - 0.330 मिला है। जिस पर बाप दादा के समय से मिट्टी का मकान बना कर निवास भी करता है.


वहीं पूरे परिवार में  तीन भाइयों व पिता को मिला कर उक्त आराजी में ही पट्टा लगभग 5 बीघे के करीब मिला हैं. जहां अन्य भाइयों के मकान भी बने है। ऐसे में सरकार द्वारा जो आवास प्राप्त हुआ उसे पुश्तैनी मकान से सटे ही आवास का निर्माण करा रहा था कि वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा जानबूझ कर गरीब परिवार का अर्ध निर्मित मकान गिराया गया। और पट्टे को निरस्त कराने की बात करते हुए बोला कि जान से भी मार देंगे। डरा हुआ गरीब युवक अपनी दुखड़ा जिलाधिकारी , और पुलिस अधीक्षक के पास गुहार लगाने में भी डर रहा है। 


वहीं प्रयाग के पिता तुलसी ने बताया कि हमने वन विभाग में 5 माह वाचर का काम किया है। ऐसे में भुगतान मांगने पर तरह तरह की बात वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा भुगतान मांगने के उपरांत हमारे बेटे का घर गिराते हुए जान से मारने की धमकी दे डाली। इससे हम सभी डरे हैं। 


इस संबंध में वन विभाग के एसडीओ जेपी सिंह ने बताया कि बनाधिकार के पट्टा यदि मिला है, तो मकान गिराने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन संबंधित जमीन को आवेदक द्वारा लेखपाल से जांच करा लिया जाए कि मकान पट्टा सुदा जमीन पर ही बन रहा है या नहीं.


इसमें प्रयाग पुत्र तुलसी ने बताया कि यदि लेखपाल से जांच के दौरान हमारा मकान गिराए जाने की प्रक्रिया ही करनी थी, तो बगैर जांच किए हमारे मकान को क्यों गिराया गया. हम गरीब के साथ हुए अन्याय के भरपाई कौन करेगा.

 

रिपोर्ट- अशोक कनौजिया

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