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चंदौलीः हमारा यह चंदौली जनपद आदिवासी बाहुल्य जनपद है इस जनपद को नक्सल प्रभावित जनपद के नाम से भी जाना जाता है इस जनपद में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में है इसे पूर्वांचल का कश्मीर भी कहा जाता है ।इस जनपद में नदी ,पहाड़, झरना, झील ,बांध,गोंडवाना का राज्य चिन्ह आदिवासी विरासत अवशेष आदि विद्वान हैं। यहां सैलानियों का आगमन जुलाई माह से प्रारंभ हो जाता है ।नौगढ़ किला चंद्रकांता की याद दिलाता है। राजदरी,देवदरी मूसा खाड बांध, चंद्रप्रभा बांध, औतडवा बांध,लतीफ शाह शेर ,भालू ,मोर आदि जंगली पशु पक्षी अपने सौंदर्य से आकर्षित करते रहते हैं ।चंदौली जनपद बिहार राज्य ,मध्य प्रदेश, झारखंड राज्य की सीमाओं को भी प्रभावित करता है। इस जनपद में निवास करने वाली आदिवासी जाति गोंड ,खरवार, चेरो,पनिका, कोल ,उराव, बैगा एवं मुसहर जातियों की जनसंख्या लगभग ढाई लाख से ऊपर है ।![](http://shauryanewsindia.co.in/backend/newsphotos/1714369639-671403251.jpg)
यह जानकारी आदिवासी नेता अधिवक्ता विजय गोंड बॉर्डर प्रदेश सचिव समाजवादी जनजाति प्रकोष्ठ ने दी उन्होंने कहा कि आदिवासियों का विकास उत्थान की बात तो सभी राजनीतिक पार्टियां करती है। परंतु धरातल पर दिखाई नही देता है। इतनी जनसंख्या के बावजुद भी आदिवासी समाज मौलिक अधिकार, वनाधिकार कानून , पांचवी अनुसूची, छठवीं अनुसूची के अधिकार से वंचित है । केवल वोट करना इनका अधिकार है यह बतलाया जाता है वोट के अलावा इनका और कौन-कौन से अधिकार है यह प्रचार प्रचार के मुद्दों में न ही बतलाया जाता है । न ही प्रचार के मुद्दों में उठाया जाता है ।
यही आदिवासी समाज के पिछड़ेपन का कारण है।
रिपोर्ट- अलीम हासमी