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यह ऐसी राजकुमारी जो किसी भी डर के आगे नहीं झुकीं अंत मे अपने प्राण त्याग दिए।
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असम राज्य पर अहोम राजाओं का शासन था और राज्य सन् 1671 से 1681 तक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा था। कई राजाओं के प्रधान सेवकों की अकुशलता ने राज्य में परेशानियों को बढ़ा दिया था।
यह वह समय था जब लोरा राजा और उनके प्रधानमंत्री लालुकास्ला बोरफूकन ने राजगद्दी हासिल करने के लालच में अपने कई
उत्तराधिकारियों को मरवा दिया था। राजकुमार गोडापानी, जो जॉयमती के पति थे, उनकी हत्या की साजिश भी रची जा चुकी थी।
जब लोरा राजा और उनके सिपाही उन्हें पकड़ने आए, राजकुमार गोडापानी बचकर निकल गए और नागा हिल्स पहुंच गए।
इसी समय लोरा राजा ने पत्नी जॉयमती को पकड़ लिया। जॉयमती को इस उम्मीद में पकड़ा गया था कि वह डर के मारे अपने पति के बारे में राजा को बता देंगी।
कई दिनों तक राजकुमारी को 14 दिनों तक इसी मैदान पर टॉचर्र किया गया। कहते हैं कि उन्हें उन्हें कंटीलें तार के साथ एक कांटे से
साथ बांध दिया गया था फिर भी राजकुमारी जॉयमती किसी भी डर के आगे नहीं झुकीं और उन्होंने अपने पति के बारे में कोई भी सूचना राजा
को नहीं दी। राजकुमारी दो बच्चों 14 साल के लाई और 12 साल के लेशाई की मां थीं और घटना के समय गर्भवती थीं। 14 दिनों तक
प्रताड़ना झेलने के बाद उन्होंने 27 मार्च 1680 को दम तोड़ दिया। राजकुमारी जॉयमती को आज भी सती का दर्जा मिला हुआ है। आज भी असम के हर निवासी के दिल में उनके लिए सर्वोच्च सम्मान है।
असम के लोकगीतों, नाटकों और स्थानीय फिल्मों में जॉयमती की कहानी सुनने को या देखने को मिल जाएगी। असम में हर वर्ष 27 मार्च
को सती जॉयमती दिवस मनाया जाता है। हालांकि अभी तक असम में या फिर भारत के दूसरे हिस्सों में उनकी वीरता के बारे स्कूल की
किताबों में पढ़ाया नहीं जाता है। सन. 1935 में एक फिल्म भी उन पर बनी थी जिसमें अडियू हांदिक ने जॉयमती का किरदार निभाया था।
आज भी मौजूद हैं राजकुमारी की यादें
जिस जगह पर राजा ने जॉयमती को प्रताड़ना दी थी, वहां पर इस समय जॉयसागर नाम से एक तालाब बना है. उनके बड़े बेटे लाई जिन्हें
रुद्र सिंघा के नाम से जाना गया, उन्होंने मांग की याद में यह तालाब बनवाया था. यह अहोम राजाओं की तरफ से बनवाए गए सभी तालाबों
में सबसे बड़ा है। दो किलोमीटर लंबी पाइपलाइन से कभी शाही महल में पानी की सप्लाई की जाती थी।
रिपोर्ट रोशनी