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माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक कुशल मनोवैज्ञानिक की भाँति विद्यार्थियों से परीक्षा पर चर्चा किया उन्होंने सीधे परीक्षा तनाव पर चर्चा करने के बजाय छात्रों के जीवन व उनके क्षेत्र से संबंधित विभिन्न आयामों पर चर्चा किया जिससे छात्र उनसे सीधे जुड़ सके।
उन्होंने छात्रों को बताया कि दबाव को मन में नहीं लेना है बल्कि अपना ध्यान अधिक से अधिक अध्ययन पर लगाना है। छात्रों को चुनौती लेना चाहिए तनाव नहीं। उन्होंने कहा कि अपने साथी छात्रों को भी सहयोग प्रदान करना चाहिए मन में विचार रखना चाहिए कि "जहां कम वहांँ हम" यानी हमारा जो साथी कमजोर है हमें उसे सहयोग देना चाहिए इससे सौहार्दपूर्ण वातावरण बनेगा जिससे विद्यार्थियों का तनाव दबाव कम होगा। प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से कहा कि हमें रोबोट की तरह से पढ़ाई नहीं करनी चाहिए
बल्कि अपने शौक को भी समय प्रदान करना चाहिए। हमारा लक्ष्य केवल परीक्षा पास करना नहीं बल्कि अपना सर्वांगीण विकास करना होना चाहिए इसलिए हमें अपने अच्छे गुणों का पता लगाकर उनके विकास पर भी कार्य करना चाहिए। छात्रों का ध्यान अधिक से अधिक तैयारी व ज्ञान इकट्ठा करने पर होना चाहिए न की परीक्षा व उसके परिणाम पर। छात्रों को अपने अच्छे गुणो को याद करना चाहिए जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और पढ़ाई करना आसान होगा।
प्रधानमंत्री जी ने समय प्रबंधन पर विशेष बल दिया उन्होंने कहा कि अध्ययन की समय सारिणी बनाते समय उन विषयों को अधिक समय प्रदान करना चाहिए जिनकी तैयारी कम हो और जो विषय कम आता हो उस विषय को चुनौती के रूप में लेकर उसकी तैयारी करना चाहिए।
छात्रों को स्वयं के लिए छोटी-छोटी चुनौती तय करनी चाहिए तथा उन चुनौतियों को सफलतापूर्वक हासिल कर लेने पर स्वयं को शाबाशी देना चाहिए इससे छात्र सेल्फ मोटिवेटेड रहते हैं।
उन्होंने कहा की परीक्षा में पहले उन प्रश्नों को हल करने का प्रयास करना चाहिए जिनका उत्तर छात्र को अच्छे से पता होता है क्योंकि शुरू में छात्रों का तनाव बढ़ा रहता है जब कुछ प्रश्न हल कर लेते हैं तो उनका तनाव कम हो जाता है जिससे वे कठिन प्रश्नों को भी समझ कर हल करने में सक्षम होते हैं और उनकी स्मृति भी अच्छे से काम करने लगती है।
प्रधानमंत्री जी ने अपने आसपास के धनात्मक आयाम पर ध्यान देने को कहा क्योंकि इससे मन में सकारात्मक परिवर्तन होगा।
प्रधानमंत्री जी ने छात्रों को लिखकर अभ्यास करने का सलाह दिया क्योंकि लिखकर सीखी गई विषय वस्तु का विस्मरण कम होता है।
विद्यार्थियों को वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि हमारी तैयारी कितनी है और कैसे बेहतर किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री जी ने अभिभावकों को भी संदेश दिया है कि अपने बच्चे से अधिक अपेक्षा न करें बल्कि उन्हें अपना सर्वोत्तम करने के लिए प्रेरित करें यदि अभिभावक अपने बच्चों के परीक्षा परिणाम को अपने सम्मान एवं सोशल स्टेटस से जोड़कर देखते हैं तो इससे बच्चों में तनाव बढ़ता है।
प्रधानमंत्री जी ने शिक्षकों को संदेश दिया है कि वे सभी विद्यार्थियों से समान ढंग से व्यवहार करें केवल प्रतिभावान विद्यार्थियों पर अधिक ध्यान न दे बल्कि कमजोर छात्रों को भी उनके अच्छे गुणों का एहसास कराकर उनके कमजोर पक्ष को सुधारने का प्रयास करें।
छात्र स्वयं से प्रतियोगिता करें दूसरों से नहीं, अपने निष्पादन में धीरे-धीरे सुधार करते हुए सर्वोत्तम किया जा सकता है।
मोबाइल एवं इंटरनेट लत पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमें टेक्नोलॉजी को अपना हथियार बनाना चाहिए कमजोरी नहीं।
पुराने प्रश्न-पत्रों का समय सीमा के साथ अभ्यास करने से परीक्षा के प्रति होने वाली घबराहट व बेचैनी कम होती है।
प्रधानमंत्री जी ने छात्रों से कहा कि अवसाद होने पर अपने मन की बात अपने माता-पिता, परिवार के सदस्यों या अपने अच्छे मित्र से अवश्य करें, मन की बात साझा कर देने से मन हल्का होता है।
उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय परिवार व्यवस्था सर्वोत्तम व्यवस्था थी जिसमें उत्तम परवरिश के साथ-साथ संस्कार एवं मन को ठीक रखने के अनेक उपाय व सम्बन्धी थे।
प्रधानमंत्री जी ने परीक्षा तनाव से बाहर निकालने के लिए छात्रों को ध्यान केंद्रित करने तथा प्राणायाम करने की सलाह दिया।