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मऊगंज जिले के ग्राम पंचायत सीतापुर में आबकारी विभाग ने हाल ही में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए कोरेक्स की एक पेटी पर छापा मारा। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि यह मामला ₹50,000 में निपटा दिया गया और सूत्रों के अनुसार, संबंधित अधिकारियों ने लेन-देन के बाद खुद को कार्रवाई से अलग कर लिया!
आबकारी विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने छापेमारी के दौरान बरामद सामग्री के बावजूद कोई सख्त कार्रवाई नहीं की और मामले को कथित तौर पर पैसे लेकर रफा-दफा कर दिया।
आम जनता के बीच यह सवाल जोर पकड़ रहा है: जब आबकारी विभाग जैसे जिम्मेदार संस्थान ही अपनी भूमिका में लापरवाही बरत रहे हैं, तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए?
- आखिर कौन करेगा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई? इस घटना ने प्रशासनिक ईमानदारी और आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि इस घटना पर प्रशासन क्या कदम उठाता है और क्या ऐसे मामलों में जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।