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रमज़ान का मुकद्दस महीना शुरू हो चुका है, और पूरे देश में इसे आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। यह महीना सिर्फ रोज़े और इबादत का ही नहीं, बल्कि समाज में प्रेम, भाईचारे और मदद का संदेश भी देता है।

भदोही समेत पूरे देश में मुस्लिम समाज के लोग सुबह सेहरी और शाम को इफ्तार के साथ रमज़ान के नियमों का पालन कर रहे हैं। मस्जिदों में विशेष नमाज़ें अदा की जा रही हैं, और हर कोई खुदा की इबादत में मशगूल है।

रमज़ान में 5 चीजें फर्ज़ हैं:

1. रोज़ा रखना: सुबह सेहरी से लेकर शाम इफ्तार तक बिना कुछ खाए-पिए खुदा की इबादत के लिए रोज़ा रखना।


2. नमाज़ अदा करना: पांचों वक्त की नमाज़ पढ़ना और खासतौर पर रमज़ान में तरावीह की नमाज़ अदा करना।


3. ज़कात देना: गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए अपनी आमदनी का एक हिस्सा ज़कात के रूप में देना।


4. कुरआन की तिलावत करना: इस महीने में कुरआन मजीद की तिलावत (पढ़ना) करना बेहद जरूरी माना जाता है।


5. निय्यत और संयम रखना: रमज़ान सिर्फ भूखा रहने का नाम नहीं, बल्कि बुरी आदतों को छोड़कर नेक राह पर चलने और खुद को सुधारने का महीना है।

रमज़ान का महत्व केवल रोज़े
 तक सीमित नहीं है, बल्कि यह खुद को बुरी आदतों से दूर करने, गरीबों की मदद करने और इंसानियत की सेवा करने की सीख भी देता है। इस महीने में हर मुसलमान अपने गुनाहों की माफी मांगता है और नेकियों की राह पर चलने की कोशिश करता है।

भदोही में रमज़ान के दौरान खास तैयारियां की गई हैं। बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है, मस्जिदों में रौनक दिखाई दे रही है, और हर गली-मोहल्ले में इफ्तार और तरावीह का आयोजन किया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन ने भी सुरक्षा और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कई अहम कदम उठाए हैं, ताकि रोज़ेदारों को किसी तरह की परेशानी न हो।

इस पवित्र महीने में सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे को रमज़ान की बधाई दे रहे हैं और साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहे हैं। समाज के हर वर्ग को इस महीने से सीख लेनी चाहिए कि संयम और परोपकार ही इंसानियत की असली पहचान है। आये जानते हैं
मुशीर इक़बाल, उपाध्यक्ष जिला कांग्रेस भदोही से

रिपोर्ट फारुक ज़ाफ़री

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