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सैयदराजा (चंदौली) नगर पंचायत स्थित रामलीला मैदान में चौथी निशा मारीच, सुबाहु राक्षसों का वध तथा अहिल्या माता का उद्धार एवं नगर दर्शन का मंचन किया गया । मारीच और सुबाहु नाम के राक्षस अपने राज्यसभा में नृत्य संगीत का आनंद ले रहे थे।
तभी उनको सूचना मिली कि ताड़का राक्षसी का वध हो गया है । सूचना पर दोनों राक्षस जंगल में पता लगाते हैं किसने ताड़का का वध किया । तभी मारीच और सुबाहु का भगवान राम जी से युद्ध होता है ।
जो कि भगवान श्री राम जी ने सुबाहु का वध कर देते हैं तथा मारीच को ऐसा बाण मारते हैं कि वह सौ योजन पार जाकर गिरता है । और राक्षस भाग जाते हैं ।
इसके बाद दोनों भाईयों के साथ मुनि विश्वामित्र आगे बढ़ते हैं । रास्ते में विश्वामित्र जी ने अहिल्या जी के बारे में श्री राम जी को पूरा वृतांत बताते हैं और कहते हैं कि हे राम अहिल्या जो पाषाण रूप में है। उनका उद्धार कीजिए, श्री राम जी के चरण स्पर्श से ही जो पाषाण मूर्ति के रूप में अहिल्या थी वह सजीव हो गई।
तथा राम जी का बहुत बड़ा उपकार मानती हैं ।और कहतीं हैं कि मैं ऋषि गौतम जी के श्राप से मुक्त हो गयी, तथा मेरी मुक्ति मिल गई । उसके बाद ऋषि विश्वामित्र राम जी और लक्ष्मण आगे बढ़ते हुए जनकपुर पहुंचते हैं ।
लक्ष्मण जी की जिज्ञासा को देखते हुए राम जी ने ऋषि विश्वामित्र से आज्ञा लेकर के नगर का दर्शन करने के लिए भाई लक्ष्मण के साथ नगर भ्रमण करते हैं। और नगर के बाजार हाट घूमते हुये आनन्द लेते हैं ।नगर वासी इतनी सुंदर दो मूर्ति देख करके भाव विभोर हो जाते हैं।
और आपस में बातें करते हैं कि इतने सुंदर राजकुमार कहां के हैं, कहां से आए हैं । जो भी देख रहा है उनकी आंखें उनके चेहरे पर ही ठहर जा रही है ।
रामलीला में नगर दर्शन का मंचन देख करके नगर वासी तथा आस-पास से आये हुये दर्शक बहुत ही आनंदित होते है । रामलीला के दौरान पुलिस प्रशासन की व्यवस्था सुनिश्चित रही।