Shaurya News India
इस खबर को शेयर करें:

 सैयदराजा(चंदौली)श्री राम और लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के आदेश पर पूजा करने के लिए बगीचे में फूल लेने जाते हैं। राजा जनक का बगीचा बहुत ही मनमोहक और सुंदर है ।बगीचे में मां गिरिजा जी का मंदिर है जहां जनक नंदिनी सीता अपनी सखियों के साथ पूजा करने आती है ।

 

इस दौरान राम और लक्ष्मण की सुंदरता देखकर सखियां मोहित हो जाती हैं तथा सीता जी से राम की सुंदरता का बखान करती है । बात सुनकर सीता जी के भी मन में राम को देखने की इच्छा होती है । सीता जी राम के रूप और सुंदरता को देखकर मोहित हो जाती है । इसी तरह राम भी सीता जी को देखकर मोहित हो जाते हैं दोनों कुछ देर तक एक दूसरे को देखते हैं ।

 

इसके बाद मां गिरिजा का पूजा कर सीता जी अपने महल में लौट जाती हैं। और राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के पास चले आते हैं । राम और लक्ष्मण मुनि विश्वामित्र के साथ धनुष यज्ञ में पहुंचते हैं। जहाँ  सीता स्वयंवर में राजा जनक शर्त  रखी थी कि जो कोई भी शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा उसी से सीता का विवाह होगा ।

 

वहां मौजूद कोई भी राजा उस पीनाक धनुष को तोड़ना तो दूर उसको हिला न सके । तब गुरु विश्वामित्र की आज्ञा पाकर भगवान राम ने धनुष को भंग कर दिया ।

 

धनुष टूटने के बाद सीता प्रभु राम के गले में वरमाला डालती हैं । फुलवारी और धनुष यज्ञ का मंचन देखने के लिए नगर तथा आसपास के गांव से भारी संख्या में श्रद्धालु गण उपस्थित रहे । रामलीला का श्रवणपान करने के लिए  काफी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।

 

रिपोर्ट आलिम हाशमी

इस खबर को शेयर करें: