Shaurya News India
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वाराणसीः हमारे चारों ही शंकराचार्य बहुत प्रबुद्ध है, त्यागी भी है़, और हिंदू धर्म के मूर्तिमान स्वरूप भी हैं , अध्यात्म का सर्वश्रेष्ठ ज्ञान उनके पास है इसमे कोई शंका नही है ! ! लेकिन उनके हिंदू विरोधी कारनामों से कुछ प्रश्न मन में उठ रहे है।

भगवान श्रीराम जन्मभूमि का आंदोलन किसी शंकराचार्य ने नही चलाया ! आदोलन चलाया बीजेपी, और विश्व हिन्दू परिषद ने !

हिन्दूओं को श्रीराम जन्मभूमि के आंदोलन के लिए जागृत करने के लिए पूरे देश में शिलापूजन के लिए ईंट पूजन का कार्यक्रम किसी शंकराचार्य नही चलाया ! यह कार्य भी किया  बीजेपी और विश्व हिन्दू परिषद ने !

हिन्दूओ को संगठित करने के पूरे देश में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए रथयात्रा किसी शंकराचार्य ने नही निकाला ! निकाला बीजेपी ने और साथ दिया विश्व हिन्दू परिषद ने और यात्रा की सुरक्षा किया बजरंग दल ने !

विवादित बाबरी मस्जिद का जब ढाचा तोड़ा गया तो आंदोलन का नेतृत्व किसी शंकराचार्य ने नही किया ! किया बीजेपी के नेताओं ने जिसके लिये अपने उपर मुकदमें, लाठियां और गोलियां झेले और कानूनी कार्यवाईयों का अनेकानेक वर्षो तक सामना किया !

मंदिर निर्माण के आंदोलन के लिए किसी शंकराचार्य नें अपना ना तो पद गवाया और ना ही पद से त्यागपत्र दिया ! लेकिन बीजेपी नें मंदिर निर्माण आंदोलन के चक्कर में और बाबरी ढांचा तोड़ने के परिणाम स्वरूप पांच पांच राज्यों की सरकार गवा दिया !

भगवान श्रीरामलला विराजमान कोर्ट केस का पक्षकार कभी कोई शंकराचार्य नही बना और ना ही कभी कोर्ट का चक्कर लगाया ! इसके लिए लड़ा विश्व हिन्दूपरिषद और बीजेपी ने !

श्रीराम लला विराजमान के मुकदमें में दस हजार से अधिक पेजों के सारे दस्तावेजों का उर्दू और फारसी से इंग्लिस में ट्रासंलेशन किसी शंकराचार्य ने नही करवाया ! करवाकर दिया बीजेपी के यूपी की योगी सरकार नें ताकि जल्दी से जल्दी जजमेन्ट हो सके !

श्रीराम लला विराजमान केस में जब साक्ष्य प्रस्तुत करने की बारी आयी तो कभी कोई शकराचार्य नही गया ! साक्ष्य देने पहुँचते थे बीजेपी के नेता, इतिहासकार और चित्रकूट धाम के प्रात: स्मरणीय महाविद्वान प्रज्ञा चक्षु जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य नें !

हाल ही की एक घटना मुझे याद आ रहा कि जब मोदी जी काशी कारीडोर बनवाने और काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनरुद्वार तथा भव्य बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण कर रहे थे तब आज के ज्योतिषपीठ के वर्तमान कांग्रेसी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद और उनके गुरु तत्कालीन कांग्रेसी शंकराचार्य स्वरूपानन्द सरस्वती उसके विरोध में आन्दोलन कर रहे थे ! यदि मोदी जी उनके दबाव में आ जाते तो आज जो भव्य मंदिर और कारीडोर बना है वो कभी नही बन पाता और पहले वाली ही संकरी और बदबूदार गलियां ही रहती !

अब जबकि बीजेपी और विश्व हिन्दूपरिषद नें ही सारा काम किया, आन्दोलन किया, लाठियां और गोलियां खाई, मुकदमें झेले, धन-समय और बल लगाया तो मंदिर निर्माण का श्रेय वो ले रहे हैं तो इसमें गलत क्या है ? और अब कुछ शंकराचार्य फूफा जी की तरह मूंह फुला रहे हैं कि हम प्राण प्रतिष्ठा में नही आयेंगे ! अरे भाई आपके निष्क्रियता के बावजूद भी यदि आपको निमंत्रण भेजा गया यही आपके लिए बड़े सम्मान की बात है, लेकिन आप फूफा जी के रोल में आकर अपनी रही-सही बची-खुची ईज्जत भी गवां रहे है !  भगवान श्री राम सभी  लोगों को सत्बुद्धि प्रदान करें !!

रिपोर्ट- जगदीश शुक्ला

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