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शनिवार, 25 जनवरी को षट्तिला एकादशी है। इस तिथि पर व्रत-उपवास से साथ ही तिल से जुड़े 6 शुभ काम करने की परंपरा है, इसी वजह से इसका नाम षट्तिला एकादशी है। माघ मास के कृष्ण पक्ष की इस एकादशी पर पवित्र नदियों में स्नान और तुलसी पूजन करने की भी परंपरा है।

षट्तिला एकादशी पर दिन की शुरुआत ऐसे करें

जो लोग एकादशी व्रत करना चाहते हैं, उन्हें सुबह जल्दी उठना चाहिए। इस दिन नदी स्नान करने का विशेष महत्व है। अगर नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल और काले तिल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। 
स्नान के बाद घर के मंदिर में पूजा करें और भगवान विष्णु के सामने व्रत करने का संकल्प लें। 
विष्णु पूजा में भगवान की प्रतिमा का पीले वस्त्र और हार-फूल से श्रृंगार करें। तुलसी, तिल, धूप, दीप और पंचामृत अर्पित करें।
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
पूजा में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

एकादशी पर करें तिल से जुड़े 6 शुभ काम

1 .  तिल का स्नान में उपयोग।
2 .  तिल का उबटन।
3 .  तिल से हवन।
4 .  तिल का भोजन में उपयोग।
5 .  तिल का दान।
6 .  तिल से तर्पण।

षट्तिला एकादशी व्रत की विधि

सुबह भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें और फिर पूरे दिन अन्न का सेवन न करें। फलाहार या केवल तिल से बनी चीजों का सेवन करें। दिनभर भगवान विष्णु की भक्ति करें, कथा सुनें और मंत्र जपें। इस तिथि पर कई भक्त रात में जागरण करते हैं और भगवान विष्णु का ध्यान करते हैं।
अगले दिन यानी द्वादशी (26 जनवरी) तिथि पर जरूरतमंदों को भोजन कराया जाता है, दान-पुण्य करने के बाद व्रत पूरा होता है। इसके बाद भक्त भोजन ग्रहण करते हैं।

षट्तिला एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम करें

इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तिल, और धन का दान करें।
तिल का उबटन बनाकर शरीर पर लगाएं। स्नान, हवन और भोजन में भी तिल का उपयोग करें।
जो लोग व्रत करते हैं, उन्हें मन शांत रखना चाहिए, नकारात्मक विचार, क्रोध, झूठ से बचें। घर में क्लेश न करें। भगवान के मंत्र जपते हुए ध्यान करेंगे तो नकारात्मकता दूर रहेगी।
इस दिन बालगोपाल का भी विशेष अभिषेक करें। श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों को हरी घास खिलाएं। किसी तालाब में मछिलयों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं।
भगवान शिव का अभिषेक करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। शनिदेव की भी पूजा करें।

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