Shaurya News India
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वाराणसीः समाज की सेवा के लिए केवल राजनीतिक नेता ही नहीं एक आम इंसान भी निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा और सामाजिक भलाई के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए समाज सेवक कहलाता है।  महमूरगंज झूलेलाल नगर के रहने वाले समाजसेवी समाज के संकल्पित संजय वलेचा(47) का रविवार को हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया। उनके निधन की खबर सुनते ही सिंधी समाज समेत क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। मणिकर्णिका घाट उनका अंतिम संस्कार हुआ जिसमें नगर के गणमान्य लोगों के साथ कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने कंधा दिया।वहीं बुधवार को एक शोकसभा(पगड़ी) आयोजित की गई। जिसमें क्षेत्र के गढ़मान्य लोग उपस्थित हुए और उनके प्रति कृतज्ञता प्रगट करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित की और कहा कि संजय ने  अपना पूरा जीवन समाज सुधार के कार्यों में लगा दिया वह एक सच्चे समाज सेवक थे, ईश्वर उनको अपने श्री चरणों में स्थान दें।

सभा का संचालन करते हुए दिलीप तुलसियानी  ने संजय को अपने दिल का बहुत करीब बताया और कहां की संजय हमसे हर बात शेयर करते थे। और उन्होंने झूलेलाल मंदिर लक्सा के मामले में समाज का बहुत सहयोग किया। उसके अलावा चितरंजन पार्क में हटाई गई सिंधी समाज की दुकानों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए पूरा सहयोग किया यहां तक कि वह इस मामले में लखनऊ भी सत्ता के उच्च पदाधिकारी से मिलने कई बार गए.


शंकर विशनानी पूर्व पार्षद  

  समाज में काम करने वाला व्यक्ति अपने काम के दाम पर नाम चाहता है पैसे वाला पैसे के दम इस लिए कही न कही काम करने वाला व्यक्ति खुद को समाज में उपेक्षित महसूस करता है उसको समाज याद तब करता है जब वो इस दुनिया को अलविदा कह कर चला जाता है तो क्या काम करने वाले व्यक्ति को अपने सम्मान पाने हेतु क्या मरना पड़ेगा तब जाके समाज उसको सम्मान देगा जीते जी तो किसी भी तीज त्योहार पर उसके यह कोई पाव भर मिठाई तक नही भेजता कोई हाल चाल नही लेता फिर यह ढकोसलापन करना उसकी मृत्यु उपरांत समाज की संवेदनहीनता को दर्शाता है।


 हासानंद बदलानी शिव शक्ति पंचायत मुखिया

उन्होंने अपने संबोधन में एक कहावत को कहते हुए कहा कि जब तू जग में आया तू रोया जग हंसा ऐसी करनी कर चले कि जब तू जाए तो लोग रोये तू हसे वाक्यों से सिंधी पंचायत मुखिया ने कहा कि आज यह भीड़ देखकर एहसास हो रहा है कि जो वह काम कर गया लोग उसे सदैव याद रखेंगे।ऐसे इंसान धरती पर जल्दी नहीं अवतार लेते,लेकिन ईश्वर अच्छे लोगों को ही अपने पास बुला लेते हैं। समाज के वह सच्चे सेवादार थे, वह हम सभी को छोड़कर जल्दी चले गए हम लोग जिंदा है हम सभी को बहुत तकलीफ है कि वह हम लोगों के बीच में नहीं है। हमारे समाज की वह रीड   की हड्डी था,हमारी रीढ की हड्डी टूट गई है।यह समाज की कड़वी सच्चाई है कि जब इंसान जीवित है तो उसको याद व उसकी कद्र नहीं करता है।मरने के बाद सभी याद करते हैं,यह हम सभी की कमी है परंतु ईश्वर को जो मंजूर।

व्यापार मंडल अध्यक्ष संजीव सिंह

 गौर से जब भी मैं उसके व्यक्तित्व को देखता था,उसमें मुझे अपनी परछाई दिखती थी।इसलिए बहुत से मामलों में मैं काफी उसकी कद्र करता था। क्योंकि लगता था कि जब मैं उसकी इज्जत कर रहा हूं तो मैं खुद की इज्जत कर रहा हूं।वह जिस प्रकार से भावनाओं और समाज के विचारधारा, संघर्ष बिना किसी पद की लालसा के वह लोगों की सेवा करता था।तो इन चीजों से के लिए मेरे पास वर्तमान में कोई शब्द नहीं है वह अमर है और सदैव रहेगा।

   पगड़ी रसम अनिल महाराज ने संपन्न कराई।

इस अवसर पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने की कड़ी में सभा में मुकेश  वलेचा,करन वलेचा, सतीश वलेचा,भुवन लखमानी,कुमार सचदेवा,बलदेव लखमानी,जगदीश लखमानी(शंभू),अशोक अंबानी,विक्की मध्यानी,विजय वाधवानी,अशोक हासवानी,सुशील लखमानी,रमेश वाधवानी,त्रिलोकी रुपानी,तरुन कुकरेजा,पप्पू घावरी,रतन राजवानी,राजा सुहाला,नीरज बदलानी,भरत बदलानी, उमेश लखमानी, सतीश लखमानी सहित सैकड़ो महिलाएं व पुरुष उपस्थित रहें ।

रिपोर्ट- जगदीश शुक्ला

 

  

 

 

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