Shaurya News India
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बुटवल नेपाल में  एकीकृत दलित मुक्ति मोर्चा नेपाल और संघर्षशील सहयात्री सारकी  समाज नेपाल द्वारा"भारत और नेपाल  की दलित समस्या और संघर्ष के आयाम"  विषय पर एक सेमिनार  का आयोजन किया गया।सेमिनार की अध्यक्षता एकीकृत दलित मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय कार्यालय सदस्य   कॉमरेड विक्रम ने किया।स्वागत वक्तव्य कॉमरेड बलबहादुर थापा ने दिया।सेमिनार में विषय प्रवेश कॉमरेड तुहिन ( जाति उन्मूलन आंदोलन अखिल भारतीय संयोजक और भाकपा (माले) रेड स्टार पोलित ब्यूरो सदस्य) ने किया।कॉमरेड लखन सुबोध ( अध्यक्ष जाति उन्मूलन आंदोलन छत्तीसगढ़ एवं अध्यक्ष गुरु घासीदास सेवादार संघ GSS) ने CAM और GSS के नेपाल शोध अध्ययन यात्रा पर प्रकाश डाला।संगोष्ठी को कॉमरेड संत बहादुर ( क्रांतिकारी कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल के नेता व संविधान सभा सदस्य), कॉमरेड टेक बहादुर विश्वकर्मा( कार्यवाहक संयोजक ,एकीकृत दलित मुक्ति मोर्चा नेपाल), लेखक कॉमरेड शशिधर पांडे,कृष्ण पौडेल, सृजना विश्वकर्मा,हरिओम विश्वकर्मा( बुद्ध अम्बेडकर जागरण मंच), दशानाथ भंडारी,श्याम विश्वकर्मा,फणींद्र गीले,दिल बहादुर,राजेंद्र आदि साथियों ने संबोधित किया।कॉमरेड जीत मित्र सुनार ने संचालन और आभार जताया।

कॉमरेड तुहिन ने मनुवादी /ब्राम्हणवादी हिंदुत्व और क्रूर जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए  प्रयासरत भारत और नेपाल के तमाम  साथियों का  भाकपा( माले) रेड स्टार  और जाति उन्मूलन आंदोलन ( CAM) की ओर से क्रांतिकारी नववर्ष पर तहे दिल से मुबारकबाद दिया।उन्होंने कहा कि नेपाल और भारत  की जनता के बीच लंबे समय से ऐतिहासिक  सांस्कृतिक- सामुदायिक गहरी बंधुता रही है ।नेपाल की जनता ने 2006 में नेपाल की राजशाही को प्रबल जनांदोलन के जरिए उखाड़ कर फेंक दिया है।और नेपाल में एक सच्चे लोकतंत्र" जनता के जनवादी लोकतंत्र की स्थापना के लिए  सब सच्चे वामपंथी,देशभक्त,जनवादी,शोषित पीड़ित,मेहनतकश जनता लगातार जद्दोजहद कर रहे हैं। सच्चे लोकतंत्र की स्थापना ,जनता के जनवादी नेपाल की रचना की लड़ाई को  भारतवासी रुचिपूर्वक देखते हैं और उससे प्रेरणा भी लेते हैं।
 नेपाल में जनता अपनी दुश्मन साम्राज्यवादी ताकतों विशेषकर अमरीकी साम्राज्यवाद और उनके दलाल देशीय शासक कॉर्पोरेट - सामंती ताकतों से लड़ रहे हैं ।उसी तरह भारत की जनता, साम्राज्यवाद के जूनियर पार्टनर कॉरपोरेट घरानों के लठैत संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतों के अत्याचार से बर्बाद हो गई है।मौजूदा हालात में हमारे देश में दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़े फासीवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस ) के मार्गदर्शन में फासिस्ट मोदी के भाजपा सरकार के राज में हमारे इतिहास का सबसे अंधकारमय दौर में हम जी रहे हैं।इस बात को भारत के निवासी प्रवासी नेपाली मेहनतकश साथी भी अनुभव करते होंगे कि 75 सालों में देश में सबसे ज्यादा गरीबी,भुखमरी,बेरोजगारी,अशिक्षा और मंहगाई छाई है।अडानी अंबानी जैसे महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घरानों की लूट से आम जनता तबाह हो चुकी है।इनके फासिस्ट संघी लठैत,एक बहुलतावादी ,बहुराष्ट्रीय,बहुधार्मिक,बहुजातीय,बहुभाषीय देश को बल पूर्वक एक कॉरपोरेट शासित हिंदुराष्ट्र बनाने की ओर तेज गति से बढ़ रहे हैं।आरएसएस का वैचारिक आधार,भारत का संविधान नहीं बल्कि मनुस्मृति है।जिसके अनुसार तमाम दलित/ उत्पीड़ित, आदिवासी,अल्पसंख्यक,महिला तथा गरीब मेहनतकश जनता को गुलाम का दर्जा दिया गया है,मानव का नहीं।अपने बहुसंख्यकवादी हिंदुराष्ट्र बनाने के लिए इन लोगों ने नफ़रत और विभाजन की राजनीति के आधार पर कश्मीर से लेकर मणिपुर,हाथरस उत्तरप्रदेश से लेकर नूह हरियाणा तक धर्म और जाति के नाम पर उन्माद पैदा कर दिया है।जो इनकी देशविरोधी जनविरोधी नीतियों का विरोध करते हैं वो या तो जेल में बंद हैं या मार डाले जा रहे हैं।फासिस्ट आर एस एस और उसके वैचारिक आधार मनुवादी हिंदुत्व के खिलाफ संघर्ष और जाति उन्मूलन का  संघर्ष आज की तारीख में एक रणनीतिक कार्य है और वर्ग संघर्ष का अटूट हिस्सा है।इसी उद्देश्य को लेकर जाति उन्मूलन आंदोलन,भारत में आगे बढ़ रहा है।जिसमें GSS सहयोगी है।
भारत के मौजूदा सत्ताधारी संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतें,नेपाल सहित तमाम पड़ोसी देशों की भी दुश्मन है।इनका रवैया नेपाल के प्रति घोर विस्तारवादी है।ये  कालीनदी ,लिपुलेख,लिंपियाधारा,टनकपुर आदि मुद्दे पर नेपाल को धमकाते हैं और दादागिरी दिखाते हैं।आरएसएस फासिस्ट गैंग,नेपाल में राजशाही और हिंदुराष्ट्र की पुनः स्थापना करने के षड्यंत्र में वहां भी नफ़रत और विभाजन की साजिश रच रहा है।
ऐसे माहौल में हम सभी प्रगतिशील ताकतों को मिलकर मानवता के शत्रु साम्राज्यवाद,फासीवाद और प्रतिक्रियाशील ताकतों के खिलाफ लड़कर शोषणहीन और जनता के जनवादी नेपाल और जनता के जनवादी भारत की स्थापना के लिए लड़ना पड़ेगा। 
उन्होंने भाकपा( माले) रेड स्टार और जाति उन्मूलन आंदोलन   की ओर से यहां उपस्थित   नेपाल के प्रगतिशील ,जनवादी समाज के प्रतिनिधियों को भरोसा दिलाया कि नेपाल की जनता के हर संघर्ष में हम एकजुटता से जुड़ेंगे और कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे।
नेपाल और भारत की जनता की लड़ाकू एकता जिंदाबाद

कॉमरेड लखन सुबोध ने 
कहा कि निर्मम जातिव्यवस्था और मनुवादी /ब्राम्हणवादी हिंदुत्व की विचारधारा के प्रभाव का अध्ययन /शोध  एवं इसके खिलाफ नेपाल के जनवादी / प्रगतिशील ताकतों का प्रतिरोध तथा  नेपाल और भारत के वामपंथी आंदोलन के साथियों के बीच परस्पर आदानप्रदान व दृढ़ बिरादराना संबंध कायम करने के उद्देश्य से भारत के छत्तीसगढ़ प्रांत के जाति उन्मूलन आंदोलन और गुरु घासीदास सेवादार संघ (GSS) के 13 सदस्यीय दल का नेपाल शोध/अध्ययन यात्रा  12 जनवरी से 16 जनवरी तक आयोजित है।कार्यक्रम के तहत 12 जनवरी को लुंबिनी  और कपिलवस्तु में सामान्य जन और वामपंथी साथियों के साथ विचार विमर्शहुआ है।आज 13 जनवरी को बुटवल में संगोष्ठी संचालित है।14 जनवरी को काठमांडू जाने के पथ पर भरतपुर  चितवन जिले में जन संवाद,15 जनवरी को काठमांडू में संगोष्ठी एवं 16 जनवरी को प्रगतिशील जनवादी आंदोलन तथा उत्पीड़ित जनता के आंदोलन से जुड़े साथियों से अंतरंग चर्चा / विचार विमर्श होगा। उन्होंने कहा कि हम आपसे नेपाल के बारे में जानने आए हैं।नेपाल में मनुवादी/ ब्राम्हणवादी हिंदुराष्ट्र स्थापित करने के षडयंत्र और क्रूर जाति व्यवस्था के खिलाफ  जातिविरोधी संगठनों और जनता के प्रतिरोध के बारे में जानकारी अर्जित करना चाहते हैं। उन्होंने यात्रा कार्यक्रम के आयोजन में सहभागी एकीकृत दलित मुक्ति मोर्चा नेपाल और नेपाल के क्रांतिकारी वामपंथी साथियों को क्रांतिकारी सलाम कहा।कॉमरेड शशिधर भंडारी ने नेपाल में जाति उन्मूलन आंदोलन किस दिशा में विषय पर एक पेपर प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी में कई सहभागियों ने  वर्ग संघर्ष के अविभाज्य हिस्से के रूप में जाति उन्मूलन के संघर्ष को आगे न बढ़ाने,जाति को सिर्फ ऊपरी ढांचे का हिस्सा मानने के कारण और जाति के बारे में यांत्रिक दृष्टिकोण अपनाने के कारण कम्युनिस्ट ताकतों की आलोचना की।इस बारे में कॉमरेड संत बहादुर,कॉमरेड टेक बहादुर और  कॉमरेड शशिधर भंडारी ने शंकाओं का निराकरण करते हुए कहा कि क्रांतिकारी कम्युनिस्ट पार्टी नेपाल द्वारा ,दलितों, उत्पीड़ितों, आदिवासियों तथा  जाति उन्मूलन के मुद्दे को वर्ग संघर्ष से जोड़कर आगे बढ़ाने के बारे में प्रतिबद्धता व्यक्त की। संगोष्ठी में बड़े पैमाने पर नेपाल के विभिन्न प्रगतिशील संगठनों के प्रतिनिधि तथा बुद्धिजीवी गण उपस्थित थे।

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