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इंस्टीट्यूट ऑफ फाईन आर्ट्स, वाराणसी में काशी अंतरराष्ट्रीय कला कार्यशाला एवं प्रदर्शनी- 24 का उद्घाटन हुआ। कार्यशाला का आयोजन संस्कार भारती विश्वविद्यालय इकाई, वाराणसी; राज्य ललित कला अकादमी , उत्तर प्रदेश; चित्रकला विभाग, महिला महाविद्यालय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, एवं इंस्टीट्यूट ऑफ फाईन आर्ट्स, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।
जिसका उद्घाटन राजेश गौतम, केंद्र निदेशक, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी; डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा, अध्यक्ष, राज्य ललित कला अकादमी, लखनऊ एवं श्री संजय राय बंतवा, विभागाध्यक्ष, चित्रकला, नेपाल ललित कला अकादमी के द्वारा अपराह्न 2 बजे दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अतिथियों के स्वागत के पश्चात नेपाल, श्रीलंका तिब्बत एवं भारत के विविध प्रांतों से आए 46 प्रतिभागी कलाकारों का स्वागत किया गया।
मुख्य अतिथि राजेश गौतम ने कहा कि अलग अलग संस्कृतियों का समागम हमारी संस्कृति को समृद्ध बनाता है। डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा से सभी कलाकारों ने विशेषरूप से आग्रह किया कि वे रामलला की प्रतिमा का रेखांकन कैसे किया। इस पर उन्होंने कहा कि मुझसे कहा गया कि राम के पांच वर्ष के आयु का चित्र बनाना है
जिनके चेहरे पर मंदस्मित का भाव हो साथ ही देवत्व के साथ साथ महापुरुषों के भी लक्षण हो। यह सब सुनकर उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि उक्त विशेषताओं से युक्त चित्र का सृजन कैसे हो।जिसके लिए उन्होंने 5 वर्ष के बच्चों की छवि को निहारना शुरू किया
पर कोई उपयुक्त छवि बन नहीं पर रही थी। एक दिन वे स्नान ध्यान करके चित्र बनाने बैठ गए और चित्र बनकर तैयार हो गया । इस समय उन्हें समय का भान हो नहीं हुआ कि कब चित्र बनना आरम्भ हुआ और कब समाप्त हो गया। उन्हें ऐसा आभाष हुआ कि मानो किसी अदृश्य शक्ति ने चित्र का निर्माण करवा दिया। नेपाल से आए संजय राय बंटवा ने कहा कि यह हम लोगों के लिए गर्व का विषय है कि हमें यहां की कला संस्कृति को देखने समझने का यह सुअवसर प्राप्त हुआ।
विषय प्रस्तावना डॉ. अनिल कुमार सिंह, स्वागत प्रो. सरोज रानी और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अवधेश कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर संस्थान विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के साथ साथ डॉ ज्ञानेंद्र राय, ध्रुव पाण्डेय, सुशांत, विकास सिंह, राहुल विश्वास, धनेश आदि उपस्थित थे।