सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति के लिए राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए भारत के राष्ट्रपति के लिए भी समय-सीमा निर्धारित की है।
भारत के राष्ट्रपति विधेयकों पर ‘पूर्ण वीटो’ या ‘पॉकेट वीटो’ का प्रयोग नहीं कर सकते।
राष्ट्रपति को आरक्षित विधेयकों पर 3 महीने के भीतर निर्णय लेना होगा। यदि कोई चूक होती है तो राज्य सरकार राष्ट्रपति के खिलाफ परमादेश की मांग करते हुए रिट याचिका दायर कर सकती है।
यदि राष्ट्रपति कारण नहीं बताते हैं, तो सद्भावना की कमी का अनुमान लगाया जाता है।