Shaurya News India
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वाराणसी / स्वामी बाणेश्वरानन्द तीर्थ दंडी सन्यासियों के प्रति काफी उदार भावना रखते थे। आजीवन सनातन धर्म व इसके प्रचार-प्रसार में अपना सर्वस्व नयोछावर कर देना इनका गुण था। काशी के बंगीय समाज में गुरु रूप में इनका काफी सम्मान था। उक्त बातें गुरुवार को कामरूप मठ दशाश्वमेध में ब्रह्मलीन स्वामी बाणेश्वरानन्द तीर्थ के षोडशी व धर्म सभा सम्मान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि काशी सुमेरु पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानन्द सरस्वती महाराज ने कही। इन्होंनें कहा की स्वामी बाणेश्वरानन्द लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। उनके न रहने से सनातन धर्म की क्षति हुई है। इस अवसर पर स्वामी बिमलदेव आश्रम (मछली बंदर मठ),स्वामी प्रणव आश्रम (मधुसूदन मठ), स्वामी ओकास आश्रम (चौसट्ठी मठ ) सहित स्वामी जितेन्द्रानन्द, स्वामी रामानंद सरस्वती आदि संतों ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि समर्पित किया। आगतों का स्वागत व संयोजन ब्रह्मलीन स्वामी जी के प्रिय शिष्य स्वामी शुद्धानंद तीर्थ महाराज ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित डा.पवन कुमार शुक्ला, स्वामी जयंत, स्वामी मोनिदीपाचार्य सहित मठ से जुड़े अनेक प्रांतों से आए शिष्यगण उपस्थित थे। 
प्रारम्भ में स्वामी जी का तिथि पूजन किया गया। इसके बाद मठ में विराजित शिवलिंग का रुद्राभिषेक, धर्म सभा व षोडशी हुआ।
कल कामरूप मठ में सायंकाल 5 बजे से विद्वत सभा का आयोजन होगा।
 

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