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वाराणसी,मच्छरों के काटने से होने वाली फाइलेरिया यानि हाथीपांव एक लाइलाज बीमारी है । मच्छर हम सभी को काटते हैं, इसलिए यह बीमारी किसी को भी हो सकती है ।
बीमारी की गंभीर स्थिति में रोगी के प्रभावित अंगों (हाथ-पैर, अंडकोष, स्तन) में इतनी सूजन आ जाती है कि वह अपनी दैनिक दिनचर्या भी नहीं कर पाता। यह बीमारी न हो इसके लिए सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान चलाकर घर-घर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी।
उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने कहीं। वह शुक्रवार को दुर्गाकुंड स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में फाइलेरिया आईडीए अभियान के संबंध में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से आयोजित एक दिवसीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने सभी मीडिया बंधुओं से अपेक्षा किया कि विभिन्न संचार माध्यमों के जरिये फाइलेरिया मुक्त भारत का संदेश जन जन तक पहुंचाने में सहयोग करें।
सीएमओ ने कहा...…! कि10 से 28 फरवरी तक ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए आइवर्मेक्टिन डीईसी एल्बेण्डाजोल) अभियान जनपद के चोलापुर ब्लॉक व जैतापुर क्षेत्र में चलने जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएंगे।
उन्होंने बताया कि इस अभियान में ‘डीईसी एल्बेण्डाजोल’ दवा आयु वर्ग के अनुसार एवं आइवरमेक्टिन दवा ऊंचाई-उम्र के अनुसार खिलाई जाएगी। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलाना है। शेष सभी लोगों को यह दवा खिलाई जाएगी ।
दवा खाली पेट नहीं खानी है और दवा की सही खुराक सभी सेवन कर लें इसलिए इसे स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाना आवश्यक है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी डॉ एस एस कनौजिया ने जनसमुदाय से अपील किया कि जब भी आशा कार्यकर्ता व उनकी सहयोगी दवा खिलाने जाएं तो उनका सहयोग करें। घर के सभी पात्र लाभार्थी को दवा अवश्य खिलाएं।
दवा खिलाने के लिए बनाई गई प्रत्येक टीम एक दिन में 25 घर जाकर दवा खिलाएगी। उन्होंने बताया कि चोलापुर ब्लॉक में लक्षित आबादी 2.81 लाख तथा जैतपुरा क्षेत्र में 66,200 को आच्छादित करने के लिए क्रमशः 226 व 54 टीम बनाई गई हैं।
दवा का सेवन कराने वाले चोलापुर में 452 एवं जैतपुरा में 106 स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। इसके पर्यवेक्षण के लिए कुल 55 सुपरवाइज़र तैनात किए गए हैं।
सुरक्षित व कारगर हैं दवाएं -जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पाण्डेय ने बताया फाइलेरिया से बचाव की दवाएं डबल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित हैं ।
यह दवाएं सुरक्षित हैं व फाइलेरिया रोग से बचाव में कारगर हैं । कुछ लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने के कुछ देर बाद सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं। इससे घबराना नहीं है।
यह शरीर में मौजूद फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी के नष्ट होने की वजह से होता है और आमतौर पर यह स्वतः ठीक हो जाता है । अगर किसी को ज्यादा दिक्कत हो तो आशा कार्यकर्ता के माध्यम से ब्लॉक रिस्पांस टीम को सूचित कर सकता है।