शिव की नगरी काशी से भगवान कृष्ण के लिए घंटा भेजा गया है। पीतल समेत तमाम धातुओं से बना 3 हजार किलो का घंटा नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करेगा। इसे बनाने में 15 महीने से अधिक समय लगा है।
वहीं घंटे में मयूर, अमृत कलश, कमल पुष्प सहित कई सनातनी संकेत उकेरे गए हैं। मथुरा रवाना करने से पहले काशी में भारी भरकम घंटे का पूरे मंत्रोच्चार और शंखनाद के साथ पूजन किया गया।
*30 से 50 कारीगरों ने किया तैयार*
कारीगर प्रताप विश्वकर्मा ने बताया कि इसे बनाने में 15 महीने से ज्यादा का समय लगा है। इसमें लगातार 10 कारीगर लगे। लेकिन बीच-बीच में 30 से लेकर 50 कारीगर भी लगे।
घंटे का वजन 3 हजार किलो से ऊपर है। इसकी आवाज बहुत शानदार है। उन्होंने बताया कि इसमें पीतल की मात्रा ज्यादा है। वैसे इसको बनाने में अष्टधातु का इस्तेमाल किया गया। मथुरा आश्रम से ही सभी धातुएं लाई गई थीं। मंदिरों में लगे घंटे बिना नक्काशी के ही बने होते हैं।