रहस्य भी ऐसे की सुनकर उड़ गए दुनिया के होश....
भारत जब 11 मई और 13 मई 1998 में परमाणु परीक्षण कर रहा था और अमेरिका प्रतिबंध की धमकियाँ दे रहा था, तभी अमेरिका ने ठीक 14 दिन बाद यानि 15वें दिन 28 मई 1998 को पाकिस्तान को परीक्षण करवाकर दुनिया को भ्रमित किया कि अब पाकिस्तान भी परमाणु शक्ति है।यही नहीं, पाकिस्तान की इस नकली परमाणु छवि से भारत को डराने का खेल शुरू हुआ, जिसमें देश के अंदर बैठे अमेरिकी भक्त भी पाकिस्तान की ताकत का डर दिखाते रहे।
लेकिन युग बदला,,,और सत्ता पहुँची उस नेता के हाथ में जो डरता नहीं, जवाब देता है। मोदी सरकार ने पहले भारत को आत्मनिर्भर बनाया, अमेरिका को मित्रता में बाँधा और पाकिस्तान को धैर्य से देखा।
लेकिन जब पहलगाम में हिन्दुओं का रक्त बहाया गया, तो भारत सरकार ने वही किया जिसका किसी ने अनुमान भी नहीं लगाया था—सीधा आक्रमण।
भारतीय सेना ने मिसाइलों से पाकिस्तान की नींव हिला दी, और जब हमारी मारक क्षमता उन परमाणु ठिकानों तक पहुंची जो अब तक ‘अदृश्य’ माने जा रहे थे,
तब अमेरिका की नींद टूटी....
उसे डर सता गया कि अगर भारत ने हमला जारी रखा, तो उसके खुद के हथियार खाक हो जाएंगे—
और वो कभी दुनिया के सामने अपना चेहरा नहीं दिखा पाएगा।
अब अमेरिका न बोल सकता था, न रोक सकता था। वो चुपचाप भारत को दोस्ती का वास्ता देने लगा।मोदी जी ने वक्त की नजाकत समझी, चार दिन में दुश्मन को धूल चटाई, और शर्तों के साथ युद्ध विराम किया। पाकिस्तान को पूरी दुनिया के सामने नंगा कर दिया और अमेरिका को चुपचाप अपना जखीरा समेटने पर मजबूर कर दिया।
आज अमेरिका पाकिस्तान से परमाणु हथियार हटाने की कवायद में लगा है। मोदी जी ने ट्रंप को खुद उसका काम याद दिला दिया है।
अब अमेरिका झुका हुआ है, चीन चुप है,
और पाकिस्तान हिल चुका है।दरअसल...
सूत्रों से पता चला है कि अमेरिका पाकिस्तान से अपने परमाणु हथियार उठाने जा रहा है। और अपनी साख बचाने के लिए इसे नाम देगा पाकिस्तान का परमाणु सरेंडर...
अरे अमेरिकियों..!
अब सबको पता है कि पाकिस्तान के पास न्युक्लियर पॉवर था ही नहीं, तो सरेंडर क्या करेगा? अमेरिका का है उठा ले जाओ...
और ये जो पाकिस्तान को IMF द्वारा बेरोकटोक बेलआउट पैकेज/ ऋण दिया जा दरअसल वो ऋण नहीं अमेरिकी परमाणु हथियारों को पाकिस्तान में रखने का किराया है।
खैर....
चार दिन की इस लड़ाई ने भारत को नया दर्जा दिया है। अब भारत सिर्फ एक देश नहीं, परिणाम देने वाली विश्व शक्ति है।
और इस कहानी में सबसे बड़ी सीख ये है—
जब नेतृत्व मज़बूत हो, तो दुनिया झुकती है।
रिपोर्ट रोशनी