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लखनऊः जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह माफिया मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। मुख्तार की मौत के साथ आतंक का किला भी धराशायी हो गया है। मुख्तार की मौत को लेकर सवाल जरूर हो सकते हैं, मगर मुख्तार की मौत से अपराधियों के बड़े सिंडिकेट के खात्मे को लेकर कोई सवाल नहीं है। पूर्वांचल से 1980 के दशक में उठी अपराध की चिंगारी से पूरा उत्तर प्रदेश झुलसा। कभी दस्यु गिरोह के लिए बदनाम रही यूपी ने माफिया का वो रूप भी देखा, जिसकी सरपरस्ती को राजनीतिक पार्टियां भी सिर झुकाकर मजबूर हुईं।


माफिया मुख्तार अंसारी, माफिया अतीक अहमद और बिहार का माफिया शहाबुद्दीन की तिकड़ी ने एक सिंडीकेट खड़ा किया था। इस सिंडीकेट में अपराधी जुड़ते गए और कई राज्यों में इनका आतंक बढ़ता गया। क्राइम के इस ईको सिस्टम को राजनीतिक पार्टियां अपने मुनाफे के लिए जमकर खाद पानी भी दिया। मुख्तार की मौत से उस सिंडीकेट का भी खात्मा हुआ है, जिसे अब पनपने में दशकों लगेंगे।
उत्तर प्रदेश में माफिया की कमर टूटने के पीछे अहम भूमिका अभियोजन की है। मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर 2017 में सूचीबद्ध माफिया के विरुद्ध अभियान के तहत कार्रवाई और प्रभारी पैरवी हैं, जिसे पुलिस ने पूरी तत्परता से वास्तव में कर दिखाया। डेढ़ सालों में आठ मामलों में सजा सुनाए जाने से मुख्तार अंदर से पूरी तरह टूट गया था। सूचीबद्ध माफिया आदित्य उर्फ रवि 12 अप्रैल 2023 को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। प्रयागराज में 15 अप्रैल 2023 को पुलिस कस्टडी में माफिया अतीक अहमद और उसका भाई माफिया अशरफ की हत्या कर दी गई थी। सूची में शामिल अनिल दुजाना को गौतमबुद्ध नगर में एसटीएफ ने मुठभेड़ में मार गिराया था। सात जून 2023 को लखनऊ कचहरी में माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या हो गई थी। हरदोई जेल में बंद खान मुबारक की बीमारी से मौत हुई हो गई थी। यूपी में बीते सात सालों में कई कुख्यात माफिया मौत की नींद सो गए। यूपी में संगठित अपराध पर माफियाओं की मौत का सीधा असर दिखाई दिया।


माफिया मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी ने पिता के रसूख के बलबूते ही विदेश से अवैध असलहे खरीदे थे। एसटीएफ अब्बास के विरुद्ध कोर्ट में आरोपपत्र भी दाखिल कर चुकी है। जांच में सामने आया था कि अब्बास ने अपराध की रकम से असलहे खरीदे थे। स्लोवेनिया से जो असलहे और कारतूस खरीदे थे,उसका भुगतान नकद किया गया था। ईडी और आयकर विभाग की जांच का घेरा भी रहा। मुख्तार के काले कारोबार से जुटाई गई संपत्तियों पर ईडी और आयकर विभाग की भी कड़ी नजर रही है। मुख्तार कुनबे की मऊ आर्गेनिक, विकास कंस्ट्रक्शन, आगाज प्रोजेक्ट एंड इंजीनियरिंग समेत कई अन्य फर्म और उनसे जुड़े लोगों की ईडी छानबीन कर रही है

 

 

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