वाराणसी। श्रावण पूर्णिमा पर महंत आवास से काशी विश्वनाथ मंदिर तक निकाली गई पालकी यात्रा में लगातार चौथी बार बाबा भक्तों को दर्शन देते हुए मंदिर के गर्भगृह तक गए। शनिवार को सायंकाल टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से बाबा के रजत विग्रह को तामझाप पर विराजमान कराया गया। वर्ष 2022 के पहले तक बाबा की प्रतिमा श्वेत वस्त्रों से ढक कर मंदिर ले जाई जाती थी। 2022 में पूर्व मंहत डॉ. कुलपति तिवारी ने स्वतंत्रता के अमृत उत्सव के उपलक्ष्य में पंचबदन प्रतिमा को बिना ढके ही मंदिर के लिए रवाना किया था। तब से प्रतिवर्ष बिना ढके की प्रतिमा मंदिर ले जाई जा रही है। श्रावण पूर्णिमा की तिथि पर दोपहर में करीब एक घंटा विलंब से सप्तर्षि आरती आरंभ होने के कारण पूर्व महंत आवास से बाबा की चल पंचबदन प्रतिमा एक घंटा देर से विश्वनाथ मंदिर के लिए रवाना हुई। महंत आवास से पालकी मंदिर की ओर बढ़ी तो सबसे आगे संजीवरत्न मिश्र बाबा का दंड लेकर चले। उनके साथ पं. वाचस्पति तिवारी रजत मशाल लेकर चलते रहे। महंत परिवार के सदस्यों और भक्तों का समूह हरहर महादेव का घोष करते हुए पालकी की आगे-पीछे चलता रहा। पालकी यात्रा टेढ़ीनीम से साक्षी विनायक, ढुंढिराज गणेश होते हुए विश्वनाथ मंदिर तक ले जाई गई। महंत आवास से सुबह ही बाबा का रजत झूला विश्वनाथ मंदिर भेजा गया था। सायंकाल पालकी के विश्वनाथ मंदिर पहुंचने पर इस झूले को गर्भगृह में रख कर बाबा की पंचबदन प्रतिमा को प्रतिष्ठित कराया गया। इसी के साथ बाबा के झूला शृंगार की झांकी के दर्शन भक्तों को सुलभ हुए। मंदिर में पं. वाचस्पति तिवारी ने दीक्षित मंत्र से बाबा का पूजन किया। पालकी यात्रा मंदिर के लिए रवाना होने से पूर्व बड़ी संख्या में भक्तों ने बाबा के शृंगारित स्वरूप का दर्शन पूजन महंत आवास पर किया। महेंद्र प्रसन्ना ने अपने शहनाई दल के साथ मंगलध्वनि कर बाबा की सांगीतिक अर्चना की।