Shaurya News India
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सकलडीहा,  गुरूपूर्णिमा के पावन पर्व के उपलक्ष्य में मंगलवार को गायत्री चेतना केन्द्र सकलडीहा शिव पोखरा पर हर्षोल्लास के साथ गुरू शिष्य परंपरा का आयोजन किया गया।

इस मौके पर देव पूजन के साथ गुरू पूजन और देव शक्तिओं का आवाहन करते हुए कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया। इस दौरान गायत्री मंत्र की जाप करते हुए वक्ताओं ने विस्तार से जानकारी दिया।


कथा वाचक ब्लाक समन्वयक  डॉ रामशंकर वर्मा ने कहा कि भारत मे यह परंपरा युगों युगों से बड़ी श्रद्धा भाव से मनाई जाती है । भारत स्वयं विश्वगुरु रहा है ।

जिसने पूरी दुनिया को सन्देश दिया । हमारी गुरु शिष्य परम्परा हमारी संस्कृति की हमारे संस्कार की पहचान है। विश्व खुद इस बात का कायल है ।

जैसा कि हम जानते है गु माने अंधकार ,रु माने प्रकाश की ओर  यानी अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना वाला सच्चा गुरु  ही सद्गुरु है । राम कृष्ण जो स्वयं अवतारी भगवान है पर इस धरा पे उंन्होने गुरु पम्परा का उत्कृष्ठ अनुकरणीय उदाहरण दिया है ।

स्वमी विवेकानंद -रामकृष्ण परमहंस,एकलव्य -द्रोण कर्ण -परशुराम जी ऐसे नाम है जिन्हें हर युग मे याद किया जाता है । गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों की 24 देवताओं का शक्ति बीज मंत्र माना गया है।

प्रत्येक अक्षर का एक देवता है। प्रकारान्तर से इस महामंत्र को 24 देवताओं का एवं संघ-समुच्चय या संयुक्त परिवार कह सकते हैं। इस परिवार के सदस्यों की गणना के विषय में शास्त्र बतलाते है।

वही रामप्रसाद पाठक ने कहा किगायत्री मन्त्र का एक-एक अक्षर एक-एक देवता का प्रतिनिधित्व करता है।

इन 24 अक्षरों की शब्द-श्रृंखला में बंधे हुए 24 देवता माने गये हैं। अंत में विविध संस्कार  के साथ गुरुदीक्षा का पावन कार्यक्रम हुआ सुमधुर भजन  के बाद  यज्ञ हवन  आरती के बाद भोजन प्रसाद बितरण किया गया ।

इस मौके पर डॉ रामशंकर वर्मा, रामप्रसाद पाठक, विकल जयसवाल, दीपक श्रीवास्तव,  हरिशंकर मिश्रा, अर्पण पाण्डेय ,संतलाल चौरसिया, फेकू चौहान, रामसकल चौहान,अवधेश मिश्रा, डॉ अरुण मिश्रा,हीरावती सहित विभिन्न गांव के लोग मौजूद रहे

 

रिपोर्ट अलीम हाशमी

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