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अब सुप्रीम कोर्ट ने22/06/2023 शुक्रवार को एक स्पष्ट आदेश पारित कर दिया है, कि 1947 से पहले ट्रांसफर किए गए किसी भी संपत्ति पर वफ्फ बोर्ड का अधिकार नहीं होगा क्योंकि उसके कागज मान्य नहीं होगा।

इसके अलावा--1947 के बाद भी जिन संपत्तियों पर वफ्फ बोर्ड अपना अधिकार जताता है उसके कागज उसे दिखाने होंगे कि यह संपत्तियां उसके पास आई कहां से।

अगर--वफ्फ बोर्ड अपने किसी संपत्ति का प्रॉपर कागज नहीं दिखा पाता है तो सुप्रीम कोर्ट के 23/06/2023 शुक्रवार के फैसले आलोक में वह जमीन/संपत्ति अपने मूल मलिक को वापस दे दी जाएगी।

और अगर जमीन/संपत्ति का मूल मलिक बंटवारे के बाद देश छोड़कर जा चुका है, अथवा+ 1962, 1965,+1971, के युद्ध में पाकिस्तान का साथ देने के आरोप के कारण भाग गया है।

तो उस स्थिति में वो संपत्ति शत्रु संपत्ति अधिनियम 2017 के तहत सरकार की हो जाएगी।
अब इसमें हमें और आपको सिर्फ करना यह है कि अगर आपके आसपास कोई ऐसी संपत्ति/जमीन है जो की आपके अनुसार वफ्फ बोर्ड का नहीं होना चाहिए। तो आप इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का हवाला देते हुए संबंधित सरकार अथवा कोर्ट को सूचित कर सकते हैं।

और सरकार/कोर्ट उस जमीन को वफ्फ बोर्ड के अतिक्रमण से मुक्त करवाने के लिए बाध्य होगी क्योंकि के सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। और हां--अगर आपकी जानकारी कुछ ऐसा नहीं है तो भी आप इस पोस्ट को अधिकाअधिक लोगों को ग्रुप्स प्रचारित कर दे-ताकि अगर किसी की जानकारी में ऐसा हो तो वो इस संबंध में उचित कदम उठा सके। ध्यान रहे की 1947 में बंटवारे के समय पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान(आज का बांग्लादेश) को मिलाकर उन्हें लगभग 10 लाख 32 हजार स्क्वायर किलोमीटर जमीन दी गई थी। और एक अनुमान के मुताबिक कम से कम इतनी ही जमीन /संपत्ति आज भारत में वफ्फ बोर्ड कब्जे/रिकॉर्ड में है।

इसलिए इस संबंध में आपका इस मैसेज को प्रचारित कर लोगों को जागरूक करना ही है। अपने आप में बहुत बड़े देश भक्ति होगी

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